कंगाल देश : करेंसी हो गयी जीरो, Gold कॉइन से खरीदेगा विदेशों से सामान
नई दिल्ली, जुलाई 6। दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जिनकी इकोनॉमी बहुत अधिक खराब है। इकोनॉमी के बहुत अधिक खराब होने के कारण ऐसे देशों की करेंसी लगातार गिरती है। इससे वहां महंगाई बढ़ जाती है। ऐसे देशों की लिस्ट में लीबिया, वेनेजुएला आदि शामिल हैं। एक और अफ्रीकी देश है, जिसकी हालत आज बहुत खराब है और उसकी करेंसी की वैल्यू जीरो हो गयी। ये देश इतना मजबूर है कि अब इसे अपने गोल्ड से विदेशों से सामान खरीदना होगा। आगे जानिए कहां हो रहा है ऐसा।
यहां किलो के भाव बिकते हैं नोट, लगता है पैसों का बाजार
गोल्ड रिजर्व का सहारा
हम बात कर रहे हैं जिम्बाब्वे की, जहां के केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह इस महीने सोने के सिक्कों को वैल्यू के भंडार के रूप में बेचना शुरू कर देगा ताकि मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सके। मुद्रास्फीति ने स्थानीय मुद्रा को काफी कमजोर कर दिया है। जिम्बाब्वे के केंद्रीय बैंक के गवर्नर जॉन मंगुड्या ने एक बयान में कहा कि सिक्के 25 जुलाई से स्थानीय मुद्रा, अमेरिकी डॉलर और अन्य विदेशी मुद्राओं में सोने की मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमत और उत्पादन लागत के आधार पर बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
कैश में हो सकेंगे कंवर्ट
जिम्बाब्वे के केंद्रीय बैंक ने कहा कि विक्टोरिया फॉल्स के नाम पर "मोसी-ओ-तुन्या" सिक्के को नकदी में बदला जा सकता है। साथ ही स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार किया जा सकता है। सोने के इन सिक्को में एक ट्रॉय औंस सोना होगा और इसे फिडेलिटी गोल्ड रिफाइनरी, ऑरेक्स और स्थानीय बैंकों द्वारा बेचा जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों द्वारा मुद्रास्फीति और युद्ध से बचाव के लिए सोने के सिक्कों का उपयोग किया जाता है।
कितनी पहुंच गयी पॉलिसी रेट
पिछले हफ्ते जिम्बाब्वे ने अपनी नीतिगत दर को 80 फीसदी से दोगुने से अधिक कर 200 फीसदी कर दिया। इसने देश में आत्मविश्वास को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए अमेरिकी डॉलर को कानूनी निविदा बनाने की योजना की रूपरेखा तैयार की। मालूम हो कि ये अफ्रीकी देश अपने महाद्वीप के उन देशों में से एक है, जिनकी हालत सालों नहीं बल्कि दशकों से खराब है।
रॉबर्ट मुगाबे रहे देश के नेता
इस दक्षिणी अफ्रीकी देश में बढ़ती मुद्रास्फीति, पहले से ही कई दिक्कतों से जूझ रही आबादी पर दबाव बढ़ा रही है और वर्षों पहले अनुभवी नेता रॉबर्ट मुगाबे के लगभग चार दशक के शासन के तहत आर्थिक अराजकता की यादों को उभार रही है। वार्षिक मुद्रास्फीति, जो जून में लगभग 192% तक पहुंच गई, ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए राष्ट्रपति इमर्सन मनांगाग्वा के सामने नयी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
लोकल करेंसी की वैल्यू खत्म
जिम्बाब्वे ने 2009 में अपने मुद्रास्फीति से तबाह डॉलर को छोड़ दिया था। फिर इसके बजाय देश ने विदेशी मुद्राओं का उपयोग करने का विकल्प चुना। वहां ज्यादातर कारोबार अमरेरिकी डॉलर में चल रहा था। सरकार ने 2019 में स्थानीय मुद्रा को फिर से पेश किया, लेकिन इसने फिर से तेजी से मूल्य खो दिया है। जिम्बाब्वे की तरह ही अफ्रीका के कई बाकी देशों का हाल है, जहां कई कारणों से इकोनॉमी चरमराई हुई है। इनमें कांगो, सीएआर, चाड, लाईबीरिया और बुरुंडी आदि शामिल हैं।