For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

European Regulators ने 6 प्रमुख भारतीय संस्थानों को ठहराया अयोग्य, ये है कारण

|

European Regulators ने 6 प्रमुख भारतीय संस्थानों को अयोग्य ठहराया है। यूरोपीय संघ (ईयू) की फाइनेंशियल मार्केट्स अथॉरिटी और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कुछ प्रमुख भारतीय संस्थानों, जैसे क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल), एनएसई क्लियरिंग लिमिटेड (एनएससीसीएल) और इंडियन क्लियरिंग कॉर्प (आईसीसीएल), की मान्यता समाप्त कर दी है। इनके माध्यम से फॉरेन एक्सचेंज, डेरिवेटिव, सरकारी बांड और प्रतिभूतियों के ट्रेड का निपटान किया जाता है। इससे भारत में मौजूद सभी यूरोपीय बैंक संकट में आ गये हैं।

European Regulators ने इन भारतीय संस्थानों को ठहराया अयोग्य

क्या है इस फैसले के पीछे का कारण
बैंकिंग सर्किल में चर्चा है कि इन संस्थाओं को अयोग्य घोषित करने का निर्णय भारतीय और विदेशी नियामकों के बीच गतिरोध के कारण लिया गया है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एक बैंकर के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी इन प्रमुख भारतीय संस्थानों को विदेशी बाजार नियामकों की जांच और निरीक्षण के दायरे में आने देने में सहज नहीं हैं। उन्हें लगता है कि यह एक अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है। इसी से टकराव की स्थिति बनी है।

European Regulators ने इन भारतीय संस्थानों को ठहराया अयोग्य

ईएसएमए का बयान
31 अक्टूबर 2022 को ईएसएमए (यूरोपियन सिक्योरिटीज एंड मार्केट अथॉरिटी) की रिलीज के अनुसार, ईएसएमए और प्रत्येक संबंधित भारतीय प्राधिकरण, यानी आरबीआई, सेबी और आईएफएससीए के बीच कोई "सहयोग व्यवस्था" संपन्न नहीं हुई है, जो कि यूरोपीयन मार्केट इंफ्रस्ट्रक्चर रेगुलेशन के अनुरूप हो। भारत में लगभग सभी विदेशी बैंक मूल कंपनियों की शाखाओं के रूप में काम करते हैं, जिनका मुख्यालय विदेशों में होता है। वे अपने संबंधित देश के नियामकों के निर्देशों से बंधे हुए होते हैं।

European Regulators ने इन भारतीय संस्थानों को ठहराया अयोग्य

कौन किसके नियमों का पालन करता है
जबकि ड्यूश, बीएनपी, क्रेडिट एग्रीकोल और सोसाइटी जेनरल जैसे बैंकों को ईएसएमए के निर्देशों का पालन करना होता है। वहीं एचएसबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और बार्कलेज जैसे बैंकों को बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होता है। ईएसएमए ने छह भारतीय केंद्रीय प्रतिपक्षों की मान्यता रद्द कर दी है। इनमें सीसीआईएल, आईसीसीएल, एनएससीसीएल, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज क्लियरिंग और इंडिया इंटरनेशनल क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड शामिल हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने सीसीआईएल और आईसीसीएल को अयोग्य घोषित कर दिया है। सीसीआईएल की निगरानी आरबीआई करता है। एनआईसीसीएल गिफ्ट सिटी रेगुलेटर इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज अथॉरिटी के अधीन है। बाकी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) रेगुलेट करता है।

आरबीआई और सेबी से संपर्क
इन बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी कल से आरबीआई और सेबी के संपर्क में हैं। जानकारों का कहना है कि भारतीय रेगुलटरों को बीच का रास्ता निकालने के लिए अपने यूरोपीय समकक्षों से बात करनी होगी।

Mutual Fund : मिड कैप स्कीम करा सकती है ज्यादा फायदा, मगर थोड़ा सावधान रहना है जरूरीMutual Fund : मिड कैप स्कीम करा सकती है ज्यादा फायदा, मगर थोड़ा सावधान रहना है जरूरी

English summary

European Regulators Disqualify 6 Major Indian Institutions Here is Why

Trades of foreign exchange, derivatives, government bonds and securities are settled through these.
Story first published: Thursday, November 3, 2022, 16:22 [IST]
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?