MSME : 40000 रु की नौकरी छोड़ शुरू किया मछली पालन, अब कमाता है 10 लाख रु
नई दिल्ली, जुलाई 4। उपलब्धियां हार न मानने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बेहतर तरीके खोजने पर आधारित होती हैं। लेकिन हम में से ज्यादातर अकसर इसके उलट ही काम करते हैं। ज्यादातर लोग कामयाबी के तरीके खोजने के बजाय लक्ष्य को पूरा करने में असफल होने पर विपरीत परिस्थितियों को दोष देते हैं। हालांकि हर कोई ऐसा नहीं होता। कुछ लोग जी-जान लगा कर और नये आइडिया सोच कर कामयाबी हासिल करते हैं। हम यहां आपको ऐसे ही एक व्यक्ति की जानकारी देंगे, जिसने अपने दम पर एक नया बिजनेस शुरू कर लिया और अब हर साल लाखों रु कमाता है।
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पिता के कहने पर की सिविल इंजीनियरिंग
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के एक किसान के घर जन्मे प्रखर की, जिसने 12वीं तक की पढ़ाई गांव के एक स्कूल से पूरी की। खुद एक किसान होने के नाते प्रखर के पिता ने उन्हें हमेशा खेती की गतिविधियों से रोका। वे चाहते थे कि प्रखर एक सिविल इंजीनियर बने। प्रखर की खेती में गहरी रुचि थी, लेकिन उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी की और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
कई बड़ी कंपनियों में किया काम
पढ़ाई के बाद प्रखर ने एफएलसीएल, कोलकाता मेट्रो, एरा इंफ्रास्ट्रक्चर और सुपरटेक आदि कंपनियों में काम किया। इन कंपनियों के लिए काम करते हुए उन्होंने काफी यात्राएं कीं। प्रखर को इस दौरान ग्रामीण और शहरी भारत में लोगों के जीवन की जानकारी मिली। वहीं ओडिशा और पश्चिम बंगाल के जिलों में उन्होंने मछली पालन से परिचित हुए। मछली पालन की मूल बातें जानने के बाद उन्होंने जल्द ही मछली-पालन शुरू करने की योजना बनाई।
आसान नहीं थी राह
प्रखर जानते थे कि एक सफल मछली पालन बिजनेस स्थापित करना आसान नहीं होगा। केनफोलियोज की रिपोर्ट के अनुसार उनके लिए अपने परिवार को मछली पालन शुरू करने के लिए राजी करना आसान नहीं था। उन्होंने किसी तरह अपने परिवार से मंजूरी ली और परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने मदद के लिए स्थानीय मत्स्य विभाग से संपर्क कियास लेकिन जल्द ही उन्हें महसूस हुई कि विभाग में विशेषज्ञता की कमी है। तकनीक की कमी के कारण पहला साल असफलताओं से भरा रहा।
मछली पालन एक्सपर्ट से हुई मुलाकात
पहले साल के नुकसान के बाद प्रखर ने अपने ज्ञान को बढ़ाने का फैसला किया। वह जल्द ही मेजा, उत्तर प्रदेश के एक मछली-पालन विशेषज्ञ के संपर्क में आए और उसे अपने गाँव आने के लिए आमंत्रित किया। प्रखर के उत्साह की सराहना करते हुए, विशेषज्ञ उनके गाँव का दौरा करने और कुछ दिनों के लिए वहाँ रहने के लिए तैयार हो गए। प्रखर के गांव में अपने चार दिनों की यात्रा के दौरान उन विशेषज्ञ ने अप्रचलित उर्वरक तकनीकों की मूल समस्या का पता लगाया और प्रखर को परिष्कृत उर्वरक तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
छोड़ दी 40000 रु की नौकरी
कामचलाऊ व्यवस्था ने परिणाम दिखाए और प्रखर ने बहुत जल्द मुनाफा कमाना शुरू कर दिया। कारोबार के दूसरे साल के दूसरे सत्र में प्रखर ने 10 लाख रुपये का लाभ कमाया। दस लाख रुपये का लाभ न केवल पैसे के मामले में महत्वपूर्ण था, बल्कि मछली पालन के लिए नौकरी छोड़ने के उनके फैसले के लिए भी सही था। उनकी अंतिम सैलेरी 40000 रु थी।
दूसरों की भी मदद
प्रखर ने न केवल अपना मछली पालन बिजनेस स्थापित किया है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों की भी मछली पालन करने में मदद की। मछली पालन की नई तकनीक किसानों को अपने खेत से पहले की तुलना में अधिक कमाई करने में मदद कर रही है, जिससे प्रखर का बिजनेस एक सोशल एंटरप्राइज बन गया है।