सुस्त रिकवरी बन रही बेरोजगारी घटने में रुकावट, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े
नयी दिल्ली। थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक श्रम भागीदारी दर में तेजी से हुई बढ़ोतरी के बावजूद देश में बेरोजगारी दर लगातार ऊंचे स्तरों बनी हुई है। सीएमआईई ने कहा कि बेरोजगारी दर मई 2020 में 23.5 प्रतिशत से गिर कर जून में 11 प्रतिशत रह गई। हालांकि जून में 11 प्रतिशत की बेरोजगारी दर लॉकडाउन से पहले की 8 प्रतिशत की तुलना में "अभी भी काफी अधिक" है। इसके अलावा जून में देखी गई बेरोजगारी दर में गिरावट का रुख अब सपाट नजर आ रहा है। यानी इसमें और गिरावट नहीं दिख रही।
कहां से कहां पहुंची बेरोजगारी दर
सीएमआईई के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ महेश व्यास के अनुसार 2017-18 के बाद से बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही थी। 2017-18 में यह औसतन 4.6 प्रतिशत थी। 2018-19 में यह बढ़ कर 6.3 प्रतिशत और फिर 2019-20 में बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई। इन दरों के मुकाबले और इनकी प्रवृत्ति की तुलना में जून 2020 में 11 प्रतिशत की बेरोजगारी दर काफी अधिक है।
कब से शुरुआत हुई बेरोजगारी घटनी
सीएमआईई के मुताबिक 31 मई को समाप्त हुए सप्ताह में बेरोजगारी में गिरावट शुरू हुई। उस समय यह 20.2 प्रतिशत तक गिरी। इसके बाद के तीन हफ्तों में बेरोजगारी में और गिरावट देखी गई। हालांकि जून के अंतिम सप्ताह में बेरोजगारी दर में और गिरावट आनी रुक गई। असल में 28 जून को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई और अगले सप्ताह में फिर से 5 जुलाई को इसमें 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे खराब स्थिति खत्म हो गई है।
कितनी है श्रम भागीदारी दर (एलपीआर)
एलपीआर 2019-20 की दूसरी छमाही में 42.5 प्रतिशत से गिर कर अप्रैल 2020 में, जो कि लॉकडाउन का पहला महीना था, 35.6 प्रतिशत रह गई थी। अचानक सिर्फ एक महीने में श्रम बल में 6.9 करोड़ की गिरावट आई थी और ये 2019-20 की दूसरी छमाही में औसतन 43.8 करोड़ से घट कर अप्रैल 2020 में 36.9 करोड़ रह गया। हालांकि जून में एलपीआर उछल कर 40.3 प्रतिशत हो गया। मगर ये अभी भी लॉकडाउन से पहले 42.5 प्रतिशत के स्तर को बरकरार नहीं रखे हुए है।
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