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मॉरिशस आया एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में, भारत पर भी पड़ेगा असर

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नयी दिल्ली। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स या एफएटीएफ ने मॉरिशस को ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। मॉरिशस उन विदेशी निवेशकों के लिए पिछले 3 दशकों से टैक्स हैवेन (कर मुक्त क्षेत्र) रहा है जो भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं। एफएटीएफ एक इंटर-गवर्मेंटल नीति बनाने वाली संस्था है, जो एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग मानक तैयार करती है। मॉरिशस का ये मामला एफएटीएफ के अधिकार क्षेत्र में ही आता है। ऐसे में भारतीय शेयर बाजार से जुड़े कुछ सवाल खड़े हो गये हैं। जैसे कि मॉरिशस के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को भारतीय अधिकारियों से रजिस्ट्रेशन मिलेगा या नहीं और वे कब तक भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर सकेंगे। इन्हीं सवालों को लेकर कस्टोडियन बैंक और एफपीओ के एडवाइजर्स आज मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास पहुँचे। बता दे कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आने से किसी देश के लेन-देन की निगरानी बढ़ जाती है।

क्या पड़ेगा प्रभाव

क्या पड़ेगा प्रभाव

जानकार कहते हैं कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) में निवेश के संबंध में पड़ने वाले किसी भी तत्काल प्रभाव का पता लगाने के लिए आगे का विश्लेषण करना होगा। बता दें कि मनी-लॉन्ड्रिंग पर बढ़ती चिंताओं के बीच एफएटीएफ को जी7 के पेरिस सम्मेलन में 1989 में स्थापित किया गया था। 2012 में एफएटीएफ ने अपने मानकों को और कड़ा कर दिया था। मॉरिशस पिछले कुछ सालों से अपने अनुपालन और एएमएल नियमों में सुधार कर रहा है। इसकी तरफ से जल्द ही मीडिया में कोई बयान आने की उम्मीद है।

मॉरिशस के जरिये भारत में 15 फीसदी निवेश

मॉरिशस के जरिये भारत में 15 फीसदी निवेश

बता दें कि भारत में कुल जितना एफपीआई निवेश होता है, उसमें से 15 फीसदी अकेले मॉरिशस के जरिये आता है। हालांकि एक अनुमान के मुताबिक मॉरिशस में स्थापित स्ट्रक्चर के जरिये कुल 25 फीसदी एफपीआई निवेश आता है। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने की ही खबरें थी, जबकि मॉरिशस के मामले पर इतना अधिक ध्यान नहीं दिया गया। एफएटीएफ का फैसला ऐसे समय में आया है कि जब सरकार का भी विदेशी निवेशकों के मामले में टैक्स को लेकर सख्त रुख है।

भारत पर कम असर पड़ेगा

भारत पर कम असर पड़ेगा

एक अनुमान के अनुसार एफएटीएफ के कदम से संभवत: पर बहुत अधिक असर न पड़े क्योंकि एफपीआई मॉरिशस से सिंगापुर का रुख कर सकते हैं, जिसकी भारत के साथ मॉरिशस जैसी ही संधि है। ऐसे में मॉरिशस मध्यम अवधि में टैक्स हैवेन होने का अपना महत्व खो सकता है। हालांकि यह भी खबर है कि मॉरिशस अपने को टैक्स हैवेन बनाये रखने के लिए भारत के साथ डिप्लोमैटिक चैनलो से बात कर रहा है।


यह भी पढ़ें - भारत की बड़ी कामयाबी, 100 से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां करेंगी निवेश

English summary

Mauritius arrives in FATF grey list India will also be affected

The Financial Action Task Force or FATF has put Mauritius on the gray list. Mauritius has been a tax haven for the last 3 decades for foreign investors who invest in the Indian stock market.
Story first published: Monday, February 24, 2020, 19:27 [IST]
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