Co-Operative Banks : मनमानी का दौर खत्म, बंद होगी पैसों की लूट
नई दिल्ली। देश में सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों को छोड़ कर बाकी बैंक मनमानी में लगे हुए थे। देश के ज्यादातर को-ऑपरेटिव बैंक में जांच के दौरान गड़बड़ी पाई गई थी। आज भी कई को-ऑपरेटिव बैंकों पर रोक लगी हुई है। इन रोक वाले को-आपरेटिव बैंकों में खाताधारकों को करोड़ों रुपये फंसा हुआ है। यह बैंक अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक की सीधी निगरानी में नहीं थे। यही कारणा था कि यह मनमानी करते थे। लेकिन आज राज्यसभा में पास हुए कानून के बाद इस मनमानी पर रोक लग जाएगी और खाताधारकों का पैसा काफी हद तक सुरक्षित हो जाएगा। देश में इस वक्त 1,482 अर्बन और 58 मल्टीस्टेट कोआपरेटिव बैंक हैं, जो अब आरबीआई के निगरानी में आ जाएंगे।
राज्य सभा में पास हुआ बिल
आज राज्यसभा से बैंकिंग रेगुलेशन बिल 2020 पास हो गया। लोकसभा ने इस बिल को पिछले सप्ताह ही मंजूरी दे दी थी। इसके बाद अब यह बिल राष्ट्रपति के पास दस्तखत के लिए भेजा जाएगा। जैसे ही राष्ट्रपति इस बिल पर हस्ताक्षर कर देंगे, उसी दिन यह बिल कानून बन जाएगा। उम्मीद है कि इसी हफ्ते या अधिकतम अगले हफ्ते तक यह बिल कानून का रूप ले लेगा।
क्या है यह नया बिल
इस बिल के कानून बनने के बाद अब देशभर के सहकारी बैंक आरबीआई की निगरानी में काम करेंगे। राज्यसभा में बिल पास होते ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इससे जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा हो सकेगी। हाल ही में मुंबई में पीएमसी बैंक घोटाला सामने आया था। केंद्र की मोदी सरकार ने सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के अंतर्गत लाने के लिए बीते जून में एक अध्यादेश जारी किया था। अब यह नया कानून इसी अध्यादेश की जगह लेगा।
जानिए और क्या कहा वित्त मंत्री ने
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुसार पिछले 2 वर्षों से को-ऑपरेटिव बैंक और छोटे बैंकों में रकम जमा करने वाले लोगों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा था। इन बैंकों में अक्सर धोखाधड़ी होने की खबरे आती रहती हैं। ऐसे में लोगों के हितों की रक्षा के लिए ही कानून में संशोधन का फैसला लिया गया है। बैंकिंग रेगुलेशन बिल के तहत अब देश के सभी सहकारी बैंकों के नियम-कानून अन्य बैंकों के समान ही होंगे। इससे पहले कोआपरेटिव बैंक आरबीआई और कॉऑपरेटिव सोसाइटी के नियमों के तहत चल रहे थे।
अब ये होंगे आरबीआई के पास अधिकार
राज्य सभा में पास कानून लागू होने के बाद आरबीआई के पास यह ताकत होगी कि वह किसी भी कोआपरेटिव बैंक का पुनर्गठन कर सके या उसका किसी अन्य बैंक में विलय का फैसला ले सके। इसके लिए आरबीआई को सहकारी बैंक के ट्रांजेक्शंस को मोराटोरियम में रखने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।वहीं अब आरबीआई जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए किसी भी मल्टीस्टेट कॉपरेटिव बैंक के निदेशक बोर्ड को भंग भी कर सकता है और नियंत्रण अपने हाथ में ले सकता है।