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बुरी खबर : जीडीपी के 87.6 फीसदी तक पहुंच सकता है भारत का कर्ज

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नयी दिल्ली। कोरोनावायरस और फिर लॉकडाउन ने भारत की इकोनॉमी पर बहुत बुरा असर डाला है। इससे जीडीपी में गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। इसी को देखते हुए सरकार की तरफ लिए जाने वाले कर्ज की लिमिट बढ़ाई गई है। इससे चालू वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारत का कर्ज लगभग 170 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 87.6 प्रतिशत है। इस बात का जिक्र देश के सबसे बड़े बैंक की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट Ecowrap में किया गया है।

जीडीपी में गिरावट

जीडीपी में गिरावट

एसबीआई की तरफ से जारी की गई ये रिपोर्ट उनके समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्या कांति घोष ने की है। घोष के अनुसार जीडीपी वृद्धि में गिरावट के साथ-साथ सभी देशों में डेब्ट-जीडीपी अनुपात भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है। इस वित्त वर्ष में अधिक डेब्ट लेने से भारत का कर्ज लगभग 170 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 87.6 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। इसमें देश का बाहरी कर्ज बढ़ कर 6.8 लाख करोड़ (जीडीपी का 3.5 फीसदी) होने का अनुमान है। शेष घरेलू ऋण में राज्यों का कर्ज जीडीपी के 27 प्रतिशत पहुंच सकता है।

क्या है ऋण-जीडीपी अनुपात

क्या है ऋण-जीडीपी अनुपात

दिलचस्प बात यह है कि जीडीपी में गिरावट के कारण ऋण-जीडीपी अनुपात कम से कम 4 प्रतिशत की तरफ बढ़ रहा है। बता दें कि ऋण-डेब्ट अनुपात (Debt-to-GDP Ratio) का मतलब किसी देश का सरकारी ऋण और उसके सकल घरेलू उत्पाद के बीच का अनुपात है। कम ऋण-जीडीपी अनुपात एक ऐसी अर्थव्यवस्था की तरफ इशारा करता है जो सामान और सेवाओं का उत्पादन और बिक्री करके और कर्ज लिए बिना अपना ऋण चुकाने की क्षमता रखती है। पिछले कुछ वर्षों में भारत के ऋण-जीडीपी अनुपात में काफी बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2011-12 में ये 58.8 लाख करोड़ रु (जीडीपी का 67.4 फीसदी) से बढ़ कर वित्त वर्ष 2018 में 146.9 लाख करोड़ (जीडीपी का 72.2 प्रतिशत) हो गया है।

राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम)

राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम)

डेब्ट अमाउंट बढ़ने से कुल डेब्ट को जीडीपी के 60 फीसदी तक घटाने के राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) लक्ष्य भी टल जाएगा। इसमें 7 सालों की देरी हो सकती है। यानी 2020-23 के बजाय लक्ष्य 2029-30 में पूरो हो सकेगा। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान केंद्र सरकार द्वारा अब तक जुटाई गई कुल राशि 4.5 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 66 प्रतिशत अधिक है। यह संशोधित राशि केंद्र सरकार के बाजार कर्ज लिमिट का लगभग 37 प्रतिशत है, जो वर्ष के लिए 12 लाख करोड़ रु है। 2020-21 की पहली छमाही में (अप्रैल-सितंबर) में लगभग 7 लाख करोड़ रुपये यानी 12 लाख करोड़ रु की लिमिट में से 64 प्रतिशत राशि जुटाई जानी है।

Corona Effect : 8 सालों में सबसे सुस्त रहेगी भारत की जीडीपीCorona Effect : 8 सालों में सबसे सुस्त रहेगी भारत की जीडीपी

English summary

Bad news India debt can reach more than 87 percent of GDP

India's debt-GDP ratio has increased significantly over the past few years. It has increased from Rs 58.8 lakh crore (67.4 percent of GDP) in FY 2011-12 to 146.9 lakh crore (72.2 percent of GDP) in FY 2018.
Story first published: Monday, July 20, 2020, 19:06 [IST]
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