Corona Effect : 8 सालों में सबसे सुस्त रहेगी भारत की जीडीपी
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस ने दुनिया भर की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगा दी। बड़ी बड़ी कंपनियों पर इसका काफी बुरा असर पड़ा। चीन और अमेरिका सहित बड़े बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाएं ठप हो गई। भारत पर भी इसका काफी निगेटिव असर रहा है। इस बीच सामने आई एक नई रिपोर्ट भारत को झटका देने वाली है। भारत की अर्थव्यवस्था के जनवरी-मार्च तिमाही में कम से कम आठ वर्षों में अपनी सबसे धीमी गति से बढ़ने होने की संभावना है। इसका मुख्य कारण कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन है। भारत, जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, की जीडीपी पिछले साल धीमी पड़ने लगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 मार्च को लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन ने पूरी तरह से आर्थिक विकास को रोक दिया।
मार्च रहा सबसे खराब
एचएसबीसी की एक इकोनॉमिस्ट कहती हैं कि जनवरी और फरवरी में कारोबारी गतिविधि मजबूत थी, लेकिन मार्च में आई मंदी ने उन दोनों महीनों के लाभ को खत्म कर दिया। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार 20 से 25 मई के दौरान 52 अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था एक साल पहले के मुकाबले जनवरी-मार्च तिमाही में 2.1 फीसदी की दर से बढ़ी। ये 2012 में दर्ज किए जाने के बाद से सबसे कम है। साथ ही 2019 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रही 4.7 फीसदी के मुकाबले तेज गिरावट को दर्शाता है।
कितनी गिरेगी जीडीपी
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) डेटा 29 मई को जारी किया जाएगा, जिसके लिए पूर्वानुमान 4.5 फीसदी से -1.5 फीसदी तक रहने का अनुमान है। ये अर्थव्यवस्था पर कोरोनोवायरस के प्रभाव को दिखाता है। कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था पर अनिश्चितता भी बनी हुई है। पोल में शामिल हुए 6 अर्थशात्रियों ने जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी में गिरावट आने का अनुमान लगाया है जबकि पहले से ही कुछ प्रमुख संकेतकों ने जनवरी-मार्च में जीडीपी को तगड़ा झटका लगने का संकेत दे दिया है। नीति-निर्माताओं ने राजस्व और मौद्रिक समर्थन आगे बढ़ाया है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे क्रेडिट उपलब्धता बढ़ेगी।
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