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मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे मजबूत होकर खुला

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नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को मजबूती के साथ खुला। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की मजबूती के साथ 71.26 रुपये के स्तर पर खुला। वहीं, सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की बढ़त के साथ 71.31 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।

 
मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे मजबूत खुला

जानिए पिछले 10 दिनों के रुपये का क्लोजिंग स्तर

-सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की बढ़त के साथ 71.31 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की कमजोरी के साथ 71.36 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की कमजोरी के साथ 71.31 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे की कमजोरी के साथ 71.26 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे की कमजोरी के साथ 71.18 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे की कमजोरी के साथ 71.12 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे की कमजोरी के साथ 71.03 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया बिना किसी घटबढ़ के 70.97 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 2 पैसे की मजबूती के साथ 70.97 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 18 पैसे की कमजोरी के साथ 70.99 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
-शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 2 पैसे की मजबूती के साथ 70.81 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।

 

आजादी के समय रुपये का स्तर

एक जमाना था जब अपना रुपया डॉलर को जबरदस्त टक्कर दिया करता था। जब भारत 1947 में आजाद हुआ तो डॉलर और रुपये का दाम बराबर का था। मतलब एक डॉलर बराबर एक रुपया था। तब देश पर कोई कर्ज भी नहीं था। फिर जब 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना लागू हुई तो सरकार ने विदेशों से कर्ज लेना शुरू किया और फिर रुपये की साख भी लगातार कम होने लगी। 1975 तक आते-आते तो एक डॉलर की कीमत 8 रुपये हो गई और 1985 में डॉलर का भाव हो गया 12 रुपये। 1991 में नरसिम्हा राव के शासनकाल में भारत ने उदारीकरण की राह पकड़ी और रुपया भी धड़ाम गिरने लगा।

डिमांड सप्लाई तय करता है भाव

करेंसी एक्सपर्ट के अनुसार रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है। इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का भी इस पर असर पड़ता है। हर देश के पास उस विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिसमें वो लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की चाल तय होती है। अमरीकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है और ज्यादातर देश इंपोर्ट का बिल डॉलर में ही चुकाते हैं।

पहली वजह है तेल के बढ़ते दाम

रुपये के लगातार कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल के बढ़ते दाम हैं। भारत कच्चे तेल के बड़े इंपोर्टर्स में एक है। भारत ज्यादा तेल इंपोर्ट करता है और इसका बिल भी उसे डॉलर में चुकाना पड़ता है।

दूसरी वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली

विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में अक्सर जमकर बिकवाली करते हैं। जब ऐसा होता है तो रुपये पर दबाव बनता है और यह डॉलर के मुकाबले टूट जाता है।

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English summary

Rupee vs Dollar exchange rate on 31 December in hindi

know the level of opening of the rupee against the dollar of 31 December 2019.
Story first published: Tuesday, December 31, 2019, 9:33 [IST]
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