For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

आज सस्ता हो सकता लोन, सस्ते में आ जाएगी कार

|

नई दिल्ली। 3 दिन से चल रही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज खत्म हो जाएगी और आरबीआई उसके बाद अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। जानकारों ने उम्मीद जताई है कि आरबीआई एक बार फिर से रेपो रेट में कटौती की घोषणा कर सकता है। जानकारों का कहना है कि मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने और आर्थिक वृद्धि में गिरावट के चलते यह फैसला लिया जा सकता है। इससे पहले आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ऐसे संकेत दे भी चुके हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि मुद्रास्फीति के अनुकूल दायरे में रहने से नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की और गुंजाइश बन सकती है। आरबीआई ने अपनी अगस्त की बैठक में 0.35 फीसदी की रेपो रेट में कटौती की थी। इसके बाद यह घट कर 5.40 फीसदी पर आ चुकी है। अगर रेपो रेट में और कटौती होती है, तो निश्चित रूप से बैंकों की ब्याज दरें घट जाएंगी। ऐसा होता है तो फेस्टिव सीजन में कार या अन्य सामान खरीदने वालों को सीधा फायदा मिलेगा।

आज सस्ता हो सकता लोन, सस्ते में आ जाएगी कार

आरबीआई इसी साल 4 बार घट चुकी है रेपो रेट

इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर पांच फीसदी पर आ गई थी। यह दर छह साल का सबसे निचला स्तर है। वहीं आरबीआई इस साल लगातार चार बार रेपो दर में कटौती कर चुका है। इन चार बार में कुल मिलाकर 1.10 फीसदी की कटौती रेपो रेट में हो चुकी है।

1 अक्टूबर को शुरू हुई थी एमपीसी की बैठक

एमपीसी की की छह सदस्यीय समिति की 3 दिन की बैठक 1 अक्टूबर 2019 को शुरू हुई थी। आज इस बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब आरबीआई ने बैंकों से 1 अक्टूबर से अपने सभी कर्ज को एक्सटर्नल बेंचमार्क यानी रेपो रेट से जोड़ने का आदेश दे रखा है। ऐसे में अगर आज रेपो रेट में कटौती होती है तो बैंकों को तुरंत ही अपनी ब्याज दरें घटना पड़ेंगी। इसका फायदा फेस्टिव सीजन में लोन लेकर खरीदारी करने वालों को मिलेगा।

मॉनिटरी पॉलिसी में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का मतलब

रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे, जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।

रिवर्स रेपो रेट
जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे।

सीआरआर
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो या नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं।

एसएलआर
जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है। आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है।

यह भी पढ़ें : होम लोन लेने में इन गलतियों से बचें, तुरंत मिलेगा

English summary

RBI will announce new repo rate today loans will become cheaper

What is the monetary policy of RBI. What is the repo rate? Why banks loans become cheaper due to decrease in repo rate. This time the repo rate decreased. This time, what decision did the RBI take regarding SLR.
Story first published: Friday, October 4, 2019, 10:34 [IST]
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X