Forex Market : dollar के मुकाबले Rupee मजबूत खुला
Forex Market : विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Market) में मंगलवार को रुपये (Rupee) की शुरुआत मजबूती के साथ हुई है। डॉलर (dollar) के मुकाबले रुपया आज 4 पैसे की बढ़त के साथ 71.12 रुपये के स्तर पर खुला है। वहीं रुपया सोमवार डॉलर के मुकाबले 13 पैसे बढ़कर 71.17 के स्तर पर बंद हुआ था।
विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Market) में पिछले 10 दिनों की चाल
-रुपया सोमवार डॉलर के मुकाबले 13 पैसे बढ़कर 71.17 के स्तर पर बंद हुआ था।
-शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 15 पैसे की मजबूती के साथ 71.30 के स्तर पर बंद हुआ।
-गुरुवार को रुपया 11 पैसे कीमजबूती के साथ 71.45 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
-बुधवार को डॉलर (dollar) के मुकाबले रुपया (Rupee) 1 पैसे की बढ़त के साथ 71.55 के स्तर पर बंद हुआ।
-मंगलवार को रुपया (Rupee) 24 पैसे की बढ़त के साथ 71.56 के स्तर पर बंद हुआ है।
-सोमवार को रुपया (Rupee) डालर के मुकाबले 56 पैसे टूटकर 71.80 पर बंद हुआ।
-शुक्रवार को रुपया (Rupee) 17 पैसे टूटकर 71.24 के स्तर पर बंद हुआ।
-गुरुवार को डॉलर (dollar) के मुकाबले रुपया 8 पैसे बढ़कर 71.08 के स्तर पर बंद हुआ।
-बुधवार को डॉलर (dollar) के मुकाबल रुपया 1 पैसे घटकर 71.12 के स्तर पर बंद हुआ।
-मंगलवार को डॉलर (dollar) के मुकाबले रुपया 1 पैसे की कमजोरी के साथ 71.11 के स्तर पर बंद हुआ।
आजादी के समय रुपये का स्तर
एक जमाना था जब अपना रुपया डॉलर को जबरदस्त टक्कर दिया करता था। जब भारत 1947 में आजाद हुआ तो डॉलर और रुपये का दाम बराबर का था। मतलब एक डॉलर बराबर एक रुपया था। तब देश पर कोई कर्ज भी नहीं था। फिर जब 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना लागू हुई तो सरकार ने विदेशों से कर्ज लेना शुरू किया और फिर रुपये की साख भी लगातार कम होने लगी। 1975 तक आते-आते तो एक डॉलर की कीमत 8 रुपये हो गई और 1985 में डॉलर का भाव हो गया 12 रुपये। 1991 में नरसिम्हा राव के शासनकाल में भारत ने उदारीकरण की राह पकड़ी और रुपया भी धड़ाम गिरने लगा।
डिमांड सप्लाई तय करता है भाव
करेंसी एक्सपर्ट के अनुसार रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है। इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का भी इस पर असर पड़ता है। हर देश के पास उस विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिसमें वो लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की चाल तय होती है। अमरीकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है और ज्यादातर देश इंपोर्ट का बिल डॉलर में ही चुकाते हैं।
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