भारत को प्राकृतिक आपदाओं से 20 साल में 5.8 लाख करोड़ का नुकसान
जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले 20 साल में आई प्राकृतिक आपदाओं से भारत को 5.8 लाख करोड़ रुपये (79.5 अरब डॉलर) का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक
जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले 20 साल में आई प्राकृतिक आपदाओं से भारत को 5.8 लाख करोड़ रुपये (79.5 अरब डॉलर) का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक रिपोर्ट में दी है।
आर्थिक नुकसान, गरीबी और आपदा: 1998-2017' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से होनेवाले महत्वपूर्ण बदलाव या मौसमी घटनाओं के वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया गया है। इसे संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए काम करनेवाले विभाग ने तैयार किया है।
इतना ही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 1998 से 2017 के बीच जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से सीधे होने वाले आर्थिक नुकसान में 151 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2,908 अरब डॉलर का सीधा नुकसान हुआ है। यह उससे पिछले दो दशकों में हुए नुकसान के मुकाबले दोगुना अधिक है।
बुधवार को जारी कि गई इस रिपोर्ट में कहा गया हैं कि जनवायु परिवर्तन का जोखिम बढ़ गया है। कुल आर्थिक नुकसान में बड़ी मौसमी घटनाओं से होने वाली हानि की हिस्सदारी 77 प्रतिशत है। जो कि 2,245 अरब डॉलर के करीब है। इस तरह 1978 से 1997 के बीच 895 अरब डॉलर का सीधा आर्थिक नुकसान हुआ था।
वहीं इसमें अमेरिका को 944.8 अरब डॉलर, चीन को 492.2 अरब डॉलर, जापान को 376.3 अरब डॉलर, भारत को 79.5 अरब डॉलर और प्यूर्तो रिको को 71.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। बाढ़, तुफान और भूकंप से होने वाले ज्यादा आर्थिक नुकसान में तीन यूरोपीय देश शीर्ष पर हैं। इसमें फ्रांस को 48.3 अरब डॉलर, जर्मनी को 57.9 अरब डॉलर और इटली को 56.6 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।