1 अक्तूबर से पेट्रोल पंपों पर क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर नहीं मिलेगा छूट
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अगर आप भी पेट्रोल भरवाने में करते है तो आपके लिए बड़ी खबर है। अगर आप पेट्रोल पंप पर ईंधन की खरीदारी के वक्त क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं तो अब आपको यह सुविधा नहीं मिल
नई दिल्ली: क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अगर आप भी पेट्रोल भरवाने में करते है तो आपके लिए बड़ी खबर है। अगर आप पेट्रोल पंप पर ईंधन की खरीदारी के वक्त क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं तो अब आपको यह सुविधा नहीं मिलेगी। जी हां पेट्रोल पंपों पर ईंधन खरीदने पर क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर अब कोई छूट नहीं मिलेगी। अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां क्रेडिट कार्ड से ईंधन के लिए पेमेंट पर 0.75 फीसद की छूट दे रही थीं। उछाल आया आज फिर पेट्रोल-डीजल की कीमत में ये भी पढ़ें
1 अक्टूबर से क्रेडिट कार्ड पेमेंट पर छूट बंद
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने इस बाबत अपने ग्राहकों को मैसेज भेजकर कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा एक अक्टूबर से पेट्रोल पंपों से ईंधन की खरीद पर क्रेडिट कार्ड से पेमेंट पर मिलने वाली 0.75 फीसद की छूट को बंद किया जा रहा है। वहीं इस इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि तेल कंपनियों ने 1 अक्टूबर से सभी क्रेडिट कार्ड पेमेंट पर छूट बंद करने का फैसला किया है। हालांकि, डेबिट कार्ड के अलावा डिजिटल पेमेंट के अन्य मोड़ पर छूट जारी रहेगी। सोने से बनी दुर्गा मां की प्रतिमा, कीमत जान के हो जायेंगे हैरान ये भी पढ़ें
नोटबंदी के बाद शुरू हुई थी स्कीम
जानकारी दें कि वर्ष 2016 के आखिर में नोटबंदी के बाद सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) को ईंधन की खरीद के लिए कार्ड से भुगतान पर 0.75 फीसद की छूट देने का निर्देश दिया था। क्रेडिट-डेबिट कार्ड और ई-वॉलेट के जरिये 0.75 फीसद की छूट को दिसंबर, 2016 में शुरू किया गया था। यह व्यवस्था ढाई साल से अधिक समय तक चली। अब इसे बंद करने का फैसला किया गया है।
कंपनियां लगभग 2,000 करोड़ का भुगतान कर चुकी
तीनों तेल कंपनियों ने ई-पेमेंट छूट में 1,165 करोड़ रुपये और MDR के लिए बैंकों को 266 करोड़ रुपये का भुगतान किया, 2017-18 में यह भुगतान कुल 1,431 करोड़ रुपये था। 2018-19 में यह लगभग 2,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके बाद डिजिटल लेनदेन की संख्या में वृद्धि हुई जो 2016 में 10 फीसद से बढ़कर 2018 में 25 फीसद पर पहुंच गया।