निवेश का बड़ा मौका कल से, ये सरकारी कंपनी ला रही IPO
नई दिल्ली। एमएसटीसी लिमिटेड का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) बुधवार 13 मार्च को खुलेगा और शुक्रवार (15 मार्च) को बंद होगा। इसके तहत कंपनी के 10 रुपये की फेस वैल्यू के प्रत्येक इक्विटी शेयर का प्राइस बैंड 121 रुपये से 128 रुपये तय किया है। एमएसटीसी लिमिटेड इन शेयर्स को बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) में सूचीबद्ध कराएगी।
कर्मचारियों को मिलेगा विशेष मौक
कंपनी ने एक बयान में कहा है कि 17,670,400 इक्विटी शेयरों का सार्वजनिक निर्गम (IPO) पेश किया जाएगा। इसमें 70,400 तक इक्विटी शेयरों का पात्र कर्मचारियों के लिए आरक्षित होंगे। इसके तहत 17,600,000 इक्विटी शेयरों का के लिए सार्वजनिक निर्गम रहेगा। सके लिए न्यूनतम 90 इक्विटी शेयरों और इसके बाद 90 इक्विटी शेयरों के गुणकों में शेयर खरीदने के लिए बोली लगाई जा सकती है।
आईपीओ की प्रक्रिया (Process of IPO)
आईपीओ फिक्स्ड प्राइस या बुक बिल्डिंग या दोनों तरीकों से पूरा हो सकता है। फिक्स्ड प्राइस मेथड में जिस कीमत पर शेयर पेश किए जाते हैं, वह पहले से तय होती है। बुक बिल्डिंग में शेयरों के लिए कीमत का दायरा तय होता है, जिसके भीतर निवेशकों को बोली लगानी होती है। प्राइस बैंड यानी कीमत का दायरा तय करने और बोली का काम पूरा करने के लिए बुकरनर की मदद ली जाती है। बुकरनर का काम आमतौर पर निवेश बैंक या सिक्योरिटीज के मामले की विशेषज्ञ कोई कंपनी करती है।
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प्राइस बैंड (Price Band of IPO)
ज्यादातर कंपनियां जिन्हें आईपीओ लाने की इजाजत है, अपने शेयरों की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुछ दूसरी क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुकरनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20 फीसदी प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20 फीसदी से ज्यादा ऊपर नहीं हो सकती है।
अंतिम कीमत (Last Price)
बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
आईपीओ की रकम (Capital of IPO)
आईपीओ में निवेशकों की ओर से लगाई गई रकम सीधे कंपनी के पास जाती है। हालांकि, विनिवेश के मामले में आईपीओ से हासिल रकम सरकार के पास जाती है। एक बार इन शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिलने के बाद शेयर की खरीद-बेच से होने वाला मुनाफा और नुकसान शेयरधारक को उठाना होता है। अगर कंपनी आईपीओ से जुड़ी अन्य जरूरी बातें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन बायर्स (क्यूआईबी) के पास कंपनी के बारे में पर्याप्त जानकारी होती है, जबकि रिटेल बायर्स कंपनी के बारे में बहुत जानकारी नहीं जुटा पाते हैं।
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