Gold : ऑनलाइन ज्वैलरी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल चुका है। इन दिनों सोने में गिरावट देखने को मिल रही है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल चुका है। इन दिनों सोने में गिरावट देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर आप सोना खरीदने का मन बना रहे है तो अच्छा समय है। घर बैठे आसानी से आप ऑनलाइन सोना खरीद सकते है। ऑनलाइन सोना खरीदने के बारे सोच रहे हैं तो सबसे पहले उस शहर में सोने का भाव पता करें। हर शहर में सोने के दाम अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा जरूरी है कि आपको शुद्ध सोना के बारे सही जानकारी हो। ज्यादातर लोग इसे अपनी सेविंग के तौर पर खरीदना पसंद करते हैं। अगर आप भी इस सोना खरीदने जा रहे हैं तो ये बात जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि, सोने के पीछे छुपा है टैक्स के एक नियम, शुद्ध सोना, सोने की कीमत, हॉलमार्क आदि कई ऐसी चीज़ है जिससे ध्यान रखने की जरुरत है। सोना आज फिर हुआ सस्ता, चांदी भी फिसली ये भी पढ़ें
सोने की कैरेट जांच लें
सोने की शुद्धता मापने का सबसे अहम पैमाना कैरेट होता है। कैरेट जितना ज्यादा होगा सोना उतना ही खरा होगा। ज्यादा कैरेट मतलब ज्यादा दाम। इसी तरह से कैरेट जितना कम होगा, सोना उतना ही सस्ता होगा। कई बार ज्वेलर्स सोने के गहने खरीदते वक्त ग्राहकों से 24 कैरेट के भाव वसूलते हैं। ध्यान रखें कि सोने की कोई भी ज्वेलरी 24 कैरेट में नहीं बन सकती है क्योंकि 24 कैरेट सोना काफी ठोस धातु के रूप में होता है इसलिए बिना पिघलाएं इससे गहने बनाना बहुत ही मुश्किल है। आमतौर पर गोल्ड ज्वेलरी 22 कैरेट की बनती है। इस गुणवत्ता वाले सोना की ज्वेलरी में 91.66 फीसदी सोना होता है। कई बार सोने की ज्वेलरी को मजबूत बनाने के लिए इसमें जिंक, कॉपर, और चांदी को मिलाया जाता है।
हॉलमार्क जरूर देखें
ज्वैलरी खरीदने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखिए कि हॉलमार्क वाली ज्वैलरी ही लें। दोबारा बेचते समय बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी का सही दाम का मिलना मुश्किल हो सकता है। बता दें कि बिक्री के समय हॉलमार्क वाली ज्वैलरी का मूल्य मौजूदा बाजार भाव पर तय होती है। इसलिए हॉलमार्क सर्टिफिकेट वाली ज्वैलरी ही खरीदें। सामान्तय: ज्वैलर 22 कैरेट यानी 91.6 फीसदी शुद्धता वाली गोल्ड ज्वैलरी की बिक्री करता है। 22 कैरेट वाली ज्वैलरी पर 915 हॉलमार्क का चिह्न अंकित रहता है। 18 कैरेट की ज्वैलरी का सोना 75 फीसदी शुद्ध होता है।
ज्वैलरी खरीदने समय बिल जरूर लें
अगर आप सोने या चांदी की ज्वैलरी खरीद रहे हैं तो ज्वैलर से उसका पक्का बिल जरूर मांगे। इस बिल में आपकी सोने की शुद्धता और रेट आदि की जानकारी दी रहती है। अगर आपके पास बिल है तो सोना-चांदी वापस बेचते समय मोलभाव कर सकते हैं। अगर बिल नहीं रहता है तो ज्वैलर आपसे मनमाने भाव पर सोना खरीद सकता है, यानी आपको नुकसान हो सकता है।
नगीना जड़ित ज्वेलरी से बचें
जब आप ज्वेलरी खरीदने जा रहे हों तो नगीने (स्टोन) लगी हुई ज्वेलरी से बचें। कई ज्वेलर्स गहने तौलते वक्त नगीने के वजन को भी इसमें शामिल कर लेते हैं और पूरे आइटम का भाव सोने के भाव के आधार पर तय करते है। ध्यान रखें आप सोने में जितने अधिक नग और डिजाइन की मांग करेंगे, उस पर मेकिंग चार्ज उतना अधिक होगा और सोने की शुद्धता उतनी कम हो सकती है।
मेकिंग चार्ज
मेकिंग चार्ज अलग-अलग गहनों के मुताबिक अलग-अलग होता है जिसे ज्वेलर्स सोने के गहने बनाने के मेहनताने के रूप में लेते है। ऐसे में ज्वेलरी खरीदते वक्त अलग-अलग जगहों के मेकिंग चार्ज की जानकारी जरूर ले लें, जिससे आपके गहने की कीमत में कम से कम मेकिंग चार्ज हो और सोना या मेटल अधिक हो। जब भी आप गहने बेचेंगे, मेकिंग चार्ज की कीमत का नुकसान तो होगा ही क्योंकि बेचते वक्त तो आपको सोने की कीमत ही मिलेगी। ऐसे में कम से कम मेकिंग चार्ज वाली खरीदारी ही फायदे का सौदा है।
ऑनलाइन पेमेंट से पहले की सावधानी
कोरोना लॉकडाउन के इस दौर में आप किसी दुकान पर जाकर सोने की खरीदारी नहीं कर सकते। आपको इसके लिए ऑनलाइन पेमेंट करना पड़ेगा। ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। ज्वेलर की वेबसाइट, पेमेंट का तरीका और अन्य चींजें कन्फर्म करने के बाद ही पेमेंट करें। एक बार जब पेमेंट जो जाएं तो पूरी तरह से जांच लें।
किन बातों का रखें ध्यान
- इन सब के बाद भी ऑनलाइन खरीदारी के वक्त सोने की क्वॉलिटी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
- क्वालिटी चेक करने के लिए पहले उस वेबसाइट का बैकग्राउंड और ज्वेलरी का ट्रेडमार्क चेक करें।
- ऑनलाइन सोने की खरीदारी के वक्त हॉलमार्क जरूर देखें।
- ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग किसी भी ब्रांड से ज्यादा जरूरी है।
- हॉलमार्क ज्वेलरी में टैक्स के साथ 35 रुपए प्रति ग्राम अलग से चार्ज लगता है।
- कंपनी की रिफंड पॉलिसी भी चेक करें।
- ऑनलाइन और ऑफलाइन की कीमतों में भी अंतर हो सकता है। इसलिए खरीदारी से पहले कीमतें चेक करें।