Vodafone Idea को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत, बढ़ी मुश्किल
नयी दिल्ली। वोडाफोन आइडिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की एजीआर बकाया मामले में फिलहाल 2500 करोड़ रुपये चुकाने की पेशकश को खारिज कर दिया है। वोडाफोन की तरफ से पेश वकील ने फिलहाल 2500 करोड़ रुपये और 21 फरवरी को 1000 करोड़ रुपये बतौर एजीआर चुकाने का प्रस्ताव पेश किया था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें कंपनी ने अपने खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न किये जाने की अपील की थी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी द्वारा दिए गए प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। ये वोडाफोन के लिए बड़ा झटका है। वोडाफोन पर 53000 करोड़ रु का बकाया एजीआर है।
वोडाफोन कर रही आकलन
बता दें कि एजीआर एक यूसेज और लाइसेंस चार्ज है, जो दूरसंचार विभाग टेलीकॉम ऑपरेटरों से लेता है। इसकी परिभाषा को लेकर विवाद के चलते ही मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा है। वोडाफोन ने शनिवार को कहा था कि ये आकलन कर रही है कि इसे कितना एजीआर कितना है। साथ ही कंपनी ने अगले कुछ दिनों में चुकाने की भी बात कही थी। उधर एयरटेल ने आज 10000 करोड़ रुपये बतौर एजीआर चुका दिया है। साथ ही कहा है कि वे 17 मार्च की डेडलाइन से पहले बाकी बकाया भी दे देगी। वोडाफोन इसी संबंध में कोर्ट से राहत पाने की कोशिश कर रही है, जिसमें लंबा भुगतान कार्यकाल और ब्याज और दंड से छूट शामिल है।
एयरटेल और वोडाफोन का आकलन
वैसे एयरटेल और वोडाफोन अपने स्तर पर भी एजीआर की गणना कर रही हैं। एयरटेल की गणना के मुताबिक इसका बकाया एजीआर 15000-18000 करोड़ रुपये बैठता है, जबकि दूरसंचार विभाग ने कंपनी से 35,500 करोड़ रुपये का एजीआर मांगा है। वहीं वोडाफोन की शुरुआती गणना में 18000-23000 करोड़ रुपये के बकाया की बात कही गयी है, जबकि वोडाफोन से 53000 करोड़ रुपये का बकाया एजीआर चुकाने को कहा गया है।
क्या कहते हैं जानकार
रिलायंस जियो पहले ही अपने 195 करोड़ रुपये के एजीआर का भुगतान कर चुकी है। बड़ी कंपनियों में रह गयी वोडाफोन आइडिया, जिस पर दबाव बढ़ रहा है। विश्लेषक कहते हैं कि वोडाफोन आइडिया के प्रमोटरों (यूके स्थित वोडाफोन ग्रुप और भारत का आदित्य बिड़ला ग्रुप) को कंपनी में फौरन नई पूंजी डालनी होगी, वरना घाटे में चल रही वोडाफोन आइडिया के पास दिवालिया होने के लिए आवेदन करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचेगा। कंपनी 2-3 बार भारत में कारोबार समेटने के संकेत दे चुकी है।
यह भी पढ़ें - बंद हो सकती है वोडाफोन आइडिया, बचा है सिर्फ एक रास्ता