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विवाद से विश्वास : नोटबंदी के दौरान गड़बड़ करने वालों को सरकार दे रही अंतिम मौका

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नयी दिल्ली। सरकार की विवाद से विश्वास योजना उन लोगों के लिए राहत लेकर आयी है, जो 2016 में हुई नोटबंदी के बाद जांच के घेरे में आ गये हैं। इनमें खनन, कमोडिटीज, टेक्सटाइल और रियल एस्टेट के कई वे प्रमोटर शामिल हैं, जिन्होंने बेहिसाब धन जमा किया या बही खातों में संदिग्ध एंट्री की। नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद नकदी में लेन-देन करने वाले कई क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट रह गये थे। इनमें से कई लोगों ने कथित तौर पर अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट में अपनी पास नकदी को सही ठहराने के लिए फर्जी प्रविष्टियां कीं, जिस पर टैक्स विभाग का ध्यान गया। इसके बाद इनकम टैक्स ने ऐसे संदिग्ध लोगों को नोटिस भेजे।

आयकर विभाग ने की कार्रवाई

आयकर विभाग ने की कार्रवाई

ज्यादातर मामलों में आयकर विभाग ने कंपनियों को नोटिस जारी किया और बैंक खातों या कंपनी के खातों में अस्पष्ट तौर पर नकदी क्रेडिट होने के संबंध में आयकर अधिनियम की धारा 68 के तहत फंड के सोर्स का सवाल किया। मगर अब ऐसे लोगों और कंपनियों को विवाद से विश्वास योजना से राहत मिल सकती है। नोटिस पाने वाली कंपनियों के कई प्रमोटर अब विवाद से विश्वास योजना के तहत मुकदमे का निपटारा करना चाह रहे हैं। इसका मतलब यह होगा कि वे केवल टैक्स का भुगतान करेंगे और उनके बैंक या बही खातों में हुई अस्पष्ट प्रविष्टियों के मामले में उनसे कोई सवाल-जवाब नहीं होगा।

किन लोगों को मिलेगा फायदा
 

किन लोगों को मिलेगा फायदा

विशेषज्ञों के मुताबिक इस योजना का लाभ लेने वाले लोगों में बड़ा हिस्सा नोटबंदी के दौरान जिन्हें नोटिस मिला वे लोग हैं, वे नहीं जिन्होंने छापे और तलाशी का सामना किया। एक अनुमान के अनुसार 480,000 मामले वर्षों से अदालतों और अर्ध-न्यायिक प्लेटफॉर्मों में लंबित हैं और टैक्स विभाग अगर इन मामलों को जीते भी तो भी पैसा मिलने में लंबा वक्त लग सकता है। इसलिए जल्दी निपटारे के लिए समझौते के रूप में इस योजना को तैयार किया गया। इन विवादों में फंसा कुल मूल्य 9.32 लाख करोड़ रुपये आंका गया है।

10000 लोगों को भेजा गया नोटिस

10000 लोगों को भेजा गया नोटिस

नोटबंदी के बाद आंकड़ों का विश्लेशण करते हुए राजस्व विभाग ने लगभग 10,000 लोगों को नोटिस जारी किया और उनसे आय के स्रोत पर विवरण मांगा। इसने कुछ "एंट्री ऑपरेटर्स" को भी तलब किया जिन्होंने कई कंपनियों को नकली चालान बनाने में मदद की। अब सभी कंपनियां इस निपटान योजना का लाभ ले रही हैं जिसके तहत टैक्स का भुगतान करने पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगेगा। इससे कई उन छोटी कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनके पास नोटबंदी के दौरान नकदी थी और उन्हें यह राशि अपने बैंक खातों में जमा करनी पड़ी।


यह भी पढ़ें - नोटबंदी : 2016 नहीं 1920 में हुए थे पहली बार नोट बंद, जानिये इतिहास

English summary

Vivaad se vishwas Government giving last chance to messers during demonetisation

In most cases, the Income Tax Department issued notices to companies and questioned the source of funds under Section 68 of the Income Tax Act in relation to vaguely cash credits in bank accounts or company accounts.
Story first published: Saturday, February 29, 2020, 13:36 [IST]
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