TAX : किस्तों में देने की मिल सकती है छूट, जानें नई व्यवस्था
नयी दिल्ली। टैक्स देने वालों के लिए एक खुखबरी है। अब आपको एक नई व्यवस्था के तहत किस्तों में टैक्स चुकाने की सुविधा मिल सकती है। दरअसल पूँजी बाजार में गिरावट या कारोबार में दिक्कतें आने पर किसी भी करदाता यानी टैक्सपेयर के सामने टैक्स भरने को लेकर समस्याएँ आती है। ऐसे में दंडित कर लक्ष्य की ओर बढ़ने का एक तरीका निकाला जा रहा है, जो सरकार ने कंपनियों और कारोबारियों को राहत देने के लिए निर्धारित किया है। मुंबई, जहां से सबसे अधिक आयकर आता है, में इस तरीक को आज़माये जाने की तैयारी है। टाइट लिक्विडिटी और मुश्किल कारोबारी माहौल के बीच मुंबई में टैक्स कमिश्नर्स ने "योग्य" करदाताओं को किस्तों में टैक्स राशि का भुगतान करने की अनुमति देने का फैसला किया। ये सुविधा उन करदाताओं को मिलेगी जिन्होंने टैक्स डिमांड को चुनौती दी है।
20 फीसदी देना होगा टैक्स
आयकर विभाग के आकलन अधिकारी से डिमांड ऑर्डर मिलने के बाद आयकर आयुक्त (अपील) के सामने आदेश को चुनौती दिए जाने के बाद करदाता को एक महीने के भीतर 20 फीसदी मांग का भुगतान करना होता है। मगर अब राशि को मार्च के अंत तक कई किस्तों में अदा किया जा सकता है। हालांकि एक सीनियर टैक्स अधिकारी के मुताबिक ये सिस्टम किसी नियम का हिस्सा नहीं है। बल्कि यह सुविधा केस-टू-केस आधार पर दी जायेगी। इस मामले में मुंबई के टैक्स कमिश्नरों को निर्देश जारी कर दिये गये हैं। वे किस्तों में टैक्स देने वाले सही अनुरोधों पर विचार करेंगे। 20 फीसदी टैक्स राशि 3 से 6 किस्तों में अदा की जा सकती है।
20 फीसदी भुगतान कानून का हिस्सा नहीं
अधिकारी के मुताबिक यह सिर्फ एक सहूलियत है, जिसमें किसी तरह के रेवेन्यू का नुकसान नहीं होगा। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब करदाताओं को किस्तों में टैक्स चुकाने की सहूलियत दी गयी है, मगर टैक्स प्रोफेश्नल मानते हैं कि मांग में सुस्ती के चलते आयकर विभाग यह सुविधा दे रहा है। कर आदेश को चुनौती देने पर 20 फीसदी भुगतान का नियम केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की गाइडलाइन के अनुसार है, मगर यह किसी क़ानून का हिस्सा नहीं है। आयकर आयुक्त के सामने अपील पर फैसला आने में लंबा समय लग सकता है, जब तक 20 फीसदी भुगतान एक महीने के बाद करना होता है।
बजट में मिल सकती है राहत
इनकम टैक्स को लेकर बता दें कि पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग ने आयकर स्लैब से संबंधित एक प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगना चाहिए। गर्ग के मुताबिक 5 से 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर 5 फीसदी, 10 से 25 लाख रुपये तक पर 15 फीसदी, 25 से 50 लाख रुपये तक 25 फीसदी और 50 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय पर 35 फीसदी टैक्स होना चाहिए। इस समय 8 टैक्स स्लैब हैं और गर्ग ने इन्हें घटा कर 4 किये जाने का सुझाव दिया है।
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