नवंबर में ऑल-टाइम-हाई रहा एसआईपी निवेश, इक्विटी फंड्स से निवेशकों ने मोड़ा मुँह
नयी दिल्ली। इक्विटी शेयरों में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड को एक बेहतर विकल्प माना जाता है। वहीं म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए एसआईपी को बेस्ट ऑप्शंस में गिना जाता है। एसआई के जरिये बाजार में उतार-चढ़ाव से जोखिम कम होता, बल्कि इसका लाभ भी मिलता है। पिछले काफी समय से एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड्स में निवेश लगातार बढ़ रहा है। नवंबर में भी एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड्स में रिकॉर्ड निवेश आया। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के ताजा आँकड़ों के मुताबिक नवंबर में एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड्स में 8,272 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जो अब तक किसी महीने में सबसे ज्यादा है। इससे पहले अक्टूबर में 8,245 करोड़ रुपये एसआईपी के रूप में म्यूचुअल फंड्स में आये थे। वहीं एसआईपी खातों की संख्या भी नवंबर में 5.33 लाख बढ़ कर 2.94 करोड़ हो गयी। जबकि एसआईपी के जरिये एसेट अंडर मैनेजमेंट या एयूएम भी 3.03 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़ कर 3.12 लाख करोड़ रुपये की हो गयी।
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में घटा निवेश
एक तरफ जहाँ एसआईपी ने नवंबर में जबदस्त प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी तरफ इक्विटी म्यूचुअल फंड में आने वाले निवेश में भारी गिरावट आयी। सेंसेक्स और निफ्टी के नये ऑल-टाइम-हाई छूने के बावजूद इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश अक्टूबर में 6,026.38 करोड़ रुपये से 78% लुढ़क कर नवंबर में 1,311 करोड़ रुपये रह गया। यह इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आये मासिक निवेश का पिछले कई सालों का सबसे निचला स्तर है। एम्फी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एनएस वेंकटेश का कहना है कि बाजार के नये रिकॉर्ड हाई पर पहुँचने के चलते लोग मुनाफा वसूल रहे हैं और पैसा निकाल रहे हैं।
रिकॉर्ड स्तर पर एयूएम
44 कंपनियों वाली म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की एयूएम की बात करें तो नवंबर में यह भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गयी। अक्टूबर में एयूएम 26.32 लाख करोड़ रुपये थी, जो नवंबर में 3 फीसदी यानी 54,419 लाख करोड़ रुपये बढ़ कर 27.04 लाख करोड़ रुपये के ऑल-टाइम-हाई पर पहुँच गयी। हालाँकि अक्टूबर में म्यूचुअल फंड की कुल एयूएम में 1.33 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ था। नवंबर में डेब्ट फंड्स में 20,650 करोड़ रुपये की पूँजी आयी, जबकि पीएसयू और लिक्विड फंड्स में 7,230 करोड़ रुपये आये। ओपन एंडेड योजनाओं में 1,312 करोड़ रुपये आये, मगर क्लोज एंडेड योजनाओं में से 379 करोड़ रुपये का आउटफ्लो हुआ।
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