सरकार का सिरदर्द : बिना प्याज की सब्जी या बिना प्याज की महंगाई दर
नई दिल्ली। प्याज सहित सब्जियों के महंगे दाम ने जहां लोगों को परेशान कर रखा है, वहीं अब मोदी सरकार की भी परेशानियां बढ़ाने लगा है। हाल ही में आए रिटेल महंगाई के आंकड़े काफी खराब थे। रिटेल महंगाई की दर बढ़कर 7.35 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास अब रेपो रेट को और घटाना कठिन हो जाएगा। पहले से ही मंदी जैसे हालात से गुजर रही अर्थव्यस्था के लिए रेपो रेट का कम होना अच्छा होता है, लेकिन इसमें अब जल्द कटौती होती नहीं दिख रही है।
केवल प्याज ने बढ़ा दी महंगाई की दर
दिसंबर 2019 के आए रिटेल के महंगाई के आंकड़े में केवल प्याज ने ही सभी के आंसू निकाल रखे हैं। प्याज के बढ़े दामों के साथ जहां महंगाई का आंकड़ा 7.35 फीसदी का रहा है, वहीं अगर केवल प्याज ही महंगा न हुआ होता, तो महंगाई का यह आंकड़ा 4.48 फीसदी पर होता। यह अनुमान एसबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में लगाया है। यानी महंगाई की दर में केवल प्याज ने ही करीब 2.87 फीसदी की बढ़त करा दी है। अगर महंगाई की दर 6 फीसदी के नीचे रहती तो यह आरबीआई की तय रेंज मे ही मानी जाती। ऐसे में आरबीआई के हाथ नहीं बंधते।
हालांकि इस दिक्कत में भी छिपा है मौका
मंदी जैसी हालात से गुजर रहे देश में आर्थिक सुधार के नाम पर अर्थशास्त्री यही कहते हैं कि आमलोगों के खर्च करने की हैसियत बढ़ाकर ही इससे निपटा जा सकता है। ऐसे में अगर प्याज, आलू, टमाटर और अदरक जैसी सब्जियों के दाम बढ़ें हैं, तो बिचौलियों ने चाहे जितना कमीशन खा लिया हो, लेकिन पैसा किसानों तक भी पहुंचा होगा। इस पैसे से किसान अब खरीदारी करेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उपभोग बढ़ेगा। हालांकि अभी यह जानकारों का अनुमान है, लेकिन अगर ऐसा होता है, यह किसानों के साथ-साथ देश के लिए भी अच्छा माना जाएगा।
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