ऑटो सेक्टर में मंदी के साथ नहीं होगी 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था
नयी दिल्ली। प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गोयनका के मुताबिक ऑटो सेक्टर में मंदी के साथ भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश नहीं बन सकता। गोयनका के अनुसार देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए ऑटो मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए 14 फीसदी की वृद्धि दर होनी चाहिए। आपको बता दें कि भारत ने अगले 5 सालों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 12 फीसदी योगदान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का होगा। गोयनका ने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2019 में एक चर्चा के दौरान कहा कि 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का मतलब है कि 8.5 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर यानी सीएजीआर। इसमें मैन्युफैक्चरिंग का 1 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य है यानी 12 फीसदी। गोयनका के अनुसार यदि मैन्युफैक्चरिंग में 12-13 फीसदी की ग्रोथ रेट चाहिए तो ऑटो सेक्टर में 14 फीसदी की वृद्धि दर होनी चाहिए।
जीडीपी में ऑटो इंडस्ट्री का 7 फीसदी योगदान
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गुप्ता ने कहा कि दूसरे प्रमुख ऑटो निर्माता देशों की तुलना में भारत की ऑटो इंडस्ट्री जीडीपी में अच्छा योगदान देती है। वर्तमान में ऑटो सेक्टर देश की जीडीपी में 7 फीसदी योगदान देती है। हालाँकि निर्यात में योगदान के मामले में भारतीय ऑटो इंडस्ट्री पीछे है। भारत में निर्यात में ऑटो की हिस्सेदारी केवल 4 फीसदी है, जबकि थाइलैंड, जर्मनी, कोरिया और जापान में यह 10 फीसदी से अधिक है। लगभग दो दशकों में सबसे अधिक गिरावट के कारण चालू वित्त वर्ष में भारतीय ऑटो सेक्टर वॉल्यूम के मामले में 15 फीसदी से ज्यादा गिरा है।
मारुति और एमजी ने भी जतायी चिंता
इसी तरह की बातें मारुति और एमजी मोटर की तरफ से भी कही गयीं। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि इकोनॉमिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी बदलाव की जरूरत है। वहीं एमजी मोटर के एमडी राजीव चाबा ने कहा कि यदि हम वहीं करें जो पिछले 10 वर्षों से करते रहे हैं तो हम इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। ऐसे में यह यह संख्या (5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी) मात्र एक संख्या ही रह जाएगी।
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