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विदेशों से आया प्याज बना सरकार का सिरदर्द, जानिये पूरा मामला

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नयी दिल्ली। सरकार के लिए प्याज को लेकर पिछले साल शुरू हुई समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्याज को लेकर सरकार के सामने एक के बाद एक दिक्कतें आ रही हैं। पहले प्याज की कीमतें कम उत्पादन और आपूर्ति की वजह से आसमान छूने लगीं। कीमतों के 200 रुपये प्रति किलों तक पहुँच जाने से सरकार ने विदेशों से प्याज का ज्यादा आयात करना शुरू कर दिया ताकि आपूर्ति बढ़ा कर कीमतें नियंत्रित की जा सकें। सरकार ने मिस्र, ईरान और अफगानिस्तान से खूब प्याज मंगाई। मगर प्याज आने पर सरकार के नो प्रोफिट नो लोस फॉर्मुले पर भी राज्य सरकारों ने आयातित प्याज नहीं खरीदी। केंद्र सरकार परिवहन का खर्चा उठाने को भी तैयार है, मगर राज्य प्याज नहीं खरीद रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बताया था कि लगभग 18,000 टन प्याज का आयात किया गया है, लेकिन सभी प्रयासों के बाद भी केवल 2,000 टन प्याज ही बेची गयी है।

विदेशों से आया प्याज बना सरकार का सिरदर्द, जानिये पूरा मामला

आखिर बोझ क्यों बन गयी प्याज
राज्यों के अलावा केंद्र सरकार को दूसरा झटका जनता से लगा है। दरअसल लोगों को आयातित प्याज का स्वाद पसंद नहीं आ रहा है। इसी वजह से सरकार अब बाहर से मंगाये गये प्याज को दूसरे देशों को बेचने की तैयारी में है। खबर है कि अमेरिका ने इस प्याज को खरीदने से मना कर दिया है। इसलिए अब सरकार मालदीव, नेपाल और श्रीलंका सहित बाकी देशों को बेचने के लिए बातचीत कर रही है। असल में भारत का अपना प्याज उत्पादन भी अब बढ़ रहा है और अगले महीने तक नयी फसल मंडी में आ सकती है।

आगे क्या है सरकार की तैयारी
पिछले साल प्याज की कीमत पर मचे हाहाकार के बाद केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। प्याज संकट को दोबारा आने से रोकने के लिए, केंद्र सरकार ने 2020 में 1 लाख टन के प्याज का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है। सरकार ने चालू वर्ष के लिए 56,000 टन का बफर स्टॉक बनाया था, लेकिन यह कीमतों को नियंत्रण रखने के लिए पर्याप्त नहीं था। बफर स्टॉक के जरिये मार्केट में प्याज कम होने पर इसकी आपूर्ति बढ़ायी जायेगी ताकि कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सके।

यह भी पढ़ें - प्याज पर बवाल : आयात की गयी प्याज नहीं ले रहीं राज्य सरकारें

English summary

Onions imported from abroad will be sold to other countries

With prices reaching Rs 200 per kg, the government started importing more onions from abroad so that prices could be controlled by increasing supply.
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