मध्य पूर्व से तेल आयात हुआ 4 साल में सबसे कम, जानिये क्यों
नयी दिल्ली। 2019 में भारत का मध्य पूर्व से कच्चे तेल का आयात 4 सालों के निचले स्तर पर पहुँच गया। इसके पीछे भारत का उद्देश्य लागत घटाने और क्षेत्र में चल रहे तनाव से खुद को बचाना है। कच्चे तेल का आयात किये जाने वाले देशों में बदलाव किया जा रहा है। सरकार अब अमेरिका से अपना तेल आयात बढ़ा रही है। भारत दुनिया में तेल की खपत करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। देश की कुल जरूरत का 84 फीसदी तेल आयात किया जाता है। तेल के आयात के लिए भारत काफी लंबे समय से मध्य पूर्व के देशों पर ही निर्भर रहा है। हालांकि इस क्षेत्र से भारत ने तेल आयात 2018 में 65 फीसदी से घटा कर 2019 में 60 फीसदी कर दिया, जो 2015 के बाद सबसे कम है। इस दौरान अमेरिका से रिकॉर्ड उत्पादन और रूस जैसे देशों ने आयातकों को नये अवसरों की पेशकश की।
रोजाना आया 26.8 लाख बैरल तेल
2019 में भारत ने मध्य पूर्व से रोजाना 26.8 लाख बैरल तेल मंगाया, जो 2018 के मुकाबले 10 फीसदी कम है। वहीं 2019 में बाकी जगहों से भारत ने रोज 18 लाख बैरल तेल का आयात किया। क्षेत्र में तनाव के अलावा सऊदी अरब सहित ओपेक देशों द्वारा तेल उत्पादन में अनुमान से ज्यादा कटौती और अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान से कम निर्यात की वजह से भी भारत इस क्षेत्र से ज्यादा तेल आयात नहीं कर सका।
अमेरिका-रूस से दोस्ती होगी मजबूत
जानकार मानते हैं कि मध्य पूर्व से कम तेल आयात करने से पीएम मोदी को तेल आयात बढ़ाने के जरिय अमेरिका और रूस जैसे देशों से संबंध और गहरे करने का मौका मिलेगा। भारत पहले ही अमेरिका से तेल आयात दोगुना करने की तैयारी में है। अमेरिका से भारत ने कच्चे तेल की खरीद 2017-18 में शुरू की थी, जो अब साल में लगभग 60 लाख टन का आंकड़ा पार कर चुकी है।
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