अभिजीत बनर्जी : रिकॉर्ड राजकोषीय घाटे के बाद यह करे सरकार
नयी दिल्ली। बजट 2020 से पहले नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। 1 फरवरी को पेश किये जाने वाले बजट से पहले बनर्जी ने कहा है कि राजकोषीय घाटा पहले ही बड़े अंतर से टूट चुका है और इस मोड़ पर राजकोषीय तंगी करना समझदारी नहीं होगी। दरअसल उन्होंने यह बात केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा बजट में संभावित 3000 करोड़ रुपये की कटौती को लेकर कही है। उन्होंने इस कटौती को समुद्र की एक बूंद मात्र कहा है। हालांकि यहां बता दें कि अभी सरकार की तरफ से इस कटौती पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अर्थशास्त्र में नोबेल विजेता ने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा के लिए बहुत कम पैसे देती है। इसमें अधिकतर योगदान राज्यों का रहता है।
कहां पहुँचा है राजकोषिय घाटा
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2019 के अंत में भारत का राजकोषीय घाटा 2019-20 बजट अनुमान का 114.8 फीसदी यानी 8.07 लाख करोड़ पर पहुँच गया था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 7.03 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया था। पहले अग्रिम अनुमानों में वास्तविक जीडीपी 204 लाख करोड़ रुपये पर आंकी गयी है, ऐसे में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 प्रतिशत के बजट लक्ष्य को पार करके जीडीपी के 3.4 प्रतिशत तक जाने की संभावना है।
पहले भी दिये बनर्जी ने सुझाव
2019 में इकोनॉमिक साइंसेज के नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने भारत सरकार से आगामी बजट में मांग को बढ़ाने के लिए अधिक कदम उठाने का सुझाव दिया था। इसके लिए उन्होंने कहा है कि कॉर्पोरेट टैक्स में और कटौती किये जाने के बजाय गरीब लोगों के हाथ में और अधिक पैसा दिया जाना चाहिए। बनर्जी का मानना है कि कॉर्पोरेट के पास पहले से ही काफी कैश है और वे मांग में कमी की वजह से नया निवेश नहीं कर रहे हैं। उनके अनुसार ऐसे में सरकार को मांग संबंधित मामलों को पहले हल करना चाहिए।
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