निर्मला सीतारमण : बैंकों का एनपीए घट कर 7.27 लाख करोड़ रुपये
नयी दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सितंबर 2019 तक सरकारी बैंकों का एनपीए यानी फंसे हुए लोन घट कर 7.27 लाख करोड़ रुपये के रह गये। इसके पीछे उन्होंने देश में बैंकों की वित्तीय हालत में सुधार के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय का हवाला दिया। सीतारमण के अनुसार सरकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए सरकार ने कई तरह के रिफॉर्म्स किये, जिनमें गवर्नेंस, अंडरराइटिंग, रिकवरी और मोनीटरिंग शामिल हैं। साथ ही बैंकों के सभी पहलुओं के लिए तकनीक का सहारा लिया जिससे बैंकों को अपने एनपीए कम करने में मदद मिली। मार्च 2018 तक सरकारी बैंकों का एनपीए 8.96 लाख करोड़ रुपये के थे, जो सितंबर 2019 तक 7.27 लाख करोड़ रुपये के रह गये। यानी मार्च 2018 से सितंबर 2019 तक की डेढ़ साल की अवधि में बैंकों ने 2.03 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड रिकवरी की।
18 में से 12 बैंक मुनाफे में
सीतारमण ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 18 में से 12 सरकारी बैंक मुनाफे में रहे। साथ ही इन बैंकों ने साढ़े सात साल में उच्चतम प्रावधान कवरेज अनुपात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिसंबर में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पेश की गयी बैंकिंग ट्रेंड रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति में बदलाव पर टिकी है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत दिवालिया प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
कैसी है बैंकों की हालत
प्राइवेट बैंकों की हालत देखें तो 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में यस बैंक का एनपीए अनुपात 7.39 फीसदी, आईसीआईसीआई बैंक का एनपीए अनुपात 6.37 फीसदी और एक्सिस बैंक का एनपीए अनुपात 5.03 फीसदी रहा। जनवरी में आरबीआई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि सितंबर 2019 में 24 बैंकों का सकल एनपीए अनुपात 5 फीसदी से कम था, जबकि 4 बैंक ऐसे रहे जिनका यही अनुपात 20 फीसदी से भी अधिक था। इस लिहाज से सितंबर 2020 तक सरकारी बैंकों की सकल एनपीए अनुपात 13.2 फीसदी, निजी बैंकों का 4.2 फीसदी और विदेशी बैंकों का 3.1 फीसदी तक पहुँच सकता है।
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