10 मिनट की चार्जिंग में 480 km तक जाती है ये कार, जानिए अन्य फीचर
भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ट्रेंड तेजी से बढ़ते जा रहा है। लेकिन इलेक्ट्रिक कार लेने के वक्त सबसे बड़ा सवाल होता है बैटरी चार्जिंग में लगने वाला लंबा वक्त है।
नई दिल्ली: भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ट्रेंड तेजी से बढ़ते जा रहा है। लेकिन इलेक्ट्रिक कार लेने के वक्त सबसे बड़ा सवाल होता है बैटरी चार्जिंग में लगने वाला लंबा वक्त है। जी हां इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के लिए जिन बातों पर सबसे ज्यादा गौर किया जाता है वे हैं ड्राइविंग रेंज और बैटरी चार्ज करने में लगने वाला वक्त। इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी फुल चार्ज होने में पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कारों के फ्यूल टैंक फुल करने से कहीं ज्यादा वक्त लगता है। इन सब परेशानियों से निजात दिलाएगा अब अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी का एक डेवलपमेंट। मारुति बीएस-6 कारें : भारी छूट पर खरीदने का अंतिम मौका ये भी पढ़ें
केवल 10 मिनट की चार्जिंग पर ईवी को 320-480 km तक सक्षम
दरअसल अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने एक ऐसी बैटरी ईजाद की है, जो केवल 10 मिनट की चार्जिंग पर ईवी को 320-480 km तक जाने में सक्षम बनाती है। अभी किसी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी को सुपरफास्ट सुपरचार्जर स्टेशन से चार्ज करने पर भी पूरा चार्ज होने में 50 मिनट तक का वक्त लगता है। पेन स्टेट में इलेक्ट्रोमैकेनिकल इंजन सेंटर के डायरेक्टर और नई ईजाद बैटरी पर काम करने वाले चाओ यांग वांग ने कहा कि 10 मिनट चार्जिंग का ट्रेंड भविष्य है और ईवी को अपनाए जाने के लिए जरूरी है।
ध्यान देने योग्य बातें
आपको बता दें कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए एक्सट्रीम फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी के साथ सबसे बड़ी समस्या लीथियम प्लेटिंग है, जो हाई चार्जिंग रेट पर पैदा हो सकती है। इसके चलते सेल कैपेसिटी घटना, इलेक्ट्रिकल स्पाइक्स जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं और बैटरी से जुड़ी असुरक्षित परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं। पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की बैटरी डिजाइन में एक सीमेट्रिक टेंपरेचर मॉड्युलेशन का इस्तेमाल हुआ है, जिसमें 10 मिनट के लिए चार्जिंग डिवाइस 60 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होती है। उसके बाद यह तेजी से कूल होकर एंबियंट टेंपरेचर पर आ जाती है। इसके चलते लीथियम प्लेटिंग हुए बिना क्विक चार्जिंग मिलती है। वैसे तो 10 मिनट का चार्जिंग टाइम बैटरी के एवरेज चार्जिंग टाइम से काफी कम है लेकिन पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की टीम इसे और कम करने पर काम कर रही है। हालांकि टीम की कोशिश बैटरी को केवल 5 मिनट में चार्ज करने की है, जितना कि फ्यूल टैंक फुल कराने में लगते हैं।
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