जीडीपी : सरकार गणना के लिए बदलेगी आधार वर्ष
नई दिल्ली। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय अगले कुछ महीनों में जीडीपी गणना के लिए एक नए आधार वर्ष पर निर्णय लेगा और 2011-12 के मौजूदा आधार वर्ष के स्थान पर राष्ट्रीय अकाउंट्स के लिए एक नई श्रंखला लाने पर काम कर रहा है। मंत्रालय के सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने उद्योग चैंबर फिक्की द्वारा यहां आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि यद्यपि नए आधार वर्ष के रूप में 2017-18 पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, क्योंकि विशेषज्ञों की समितियां अपनी राय को अंतिम रूप देने से पहले कुछ और आंकड़ों का इंतजार कर रही हैं।
कुछ ही महीने में हो जाएगा फैसला
श्रीवास्तव ने कहा, "आधार वर्ष (जीडीपी का) बदलने का निर्णय अगले कुछ महीनों में लिया जाएगा। हम उद्योगों के वार्षिक सर्वे और उपभोक्ता व्यय सर्वे का इंतजार कर रहे हैं। सभी प्रारंभिक कार्य उसके लिए तैयार किए जा रहे हैं। परिणाम आते ही हम इसे संबंधित समितियों के समक्ष आधार वर्ष पर निर्णय लेने के लिए रखेंगे।"
पहले ऐसे हुआ था फैसला
यह निर्णय वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले जब जीडीपी की नयी श्रृंखला के लिए 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया था। उस दौरान सरकार ने 2009-10 पर भी विचार किया था। लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना था कि 2009-10 वैश्विक और घरेलू तौर पर अच्छा वर्ष नहीं था इसलिए 2011-12 को जीडीपी की नई श्रृंखला का आधार वर्ष बनाया गया।
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