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PM Modi हुए सख्त : टैक्स कलेक्शन में 1 रुपये की भी कमी मंजूर नहीं

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नयी दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अपने टैक्स कलेक्टर्स के सामने एक चुनौती रखी है। ये चुनौती है 20 अरब डॉलर के कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बावजूद टैक्स लक्ष्य पूरा करने की। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार 16 दिसंबर को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अधिकारियों को 13.4 लाख करोड़ रुपये (187 अरब डॉलर) का डायरेक्ट टैक्स लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 8 महीनों (अप्रैल से नवंबर तक) के मुकाबले 2019-20 की समान अवधि में टैक्स कलेक्शन में 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। मगर इस दौरान टैक्स कलेक्शन में उम्मीद 17 फीसदी बढ़ोतरी की गयी थी। यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धीमी अर्थव्यवस्था में पब्लिक फाइनेंस की तत्काल आवश्यकता है, जिसमें अप्रैल-नवंबर टैक्स कलेक्शन बजट राशि का आधा रहा। बता दें कि वित्तीय घाटे के लक्ष्य से अधिक हो जाने के कारण अधिकारियों ने राज्यों के कुछ भुगतानों और मंत्रालयों के खर्च तक को रोक दिया है।

आरबीआई की सलाह से अलग है सरकार का कदम

आरबीआई की सलाह से अलग है सरकार का कदम

अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और कुछ समय पहले आये आँकड़ों में अर्थव्यवस्था के कई सालों के निचले स्तर पर फिसलने का खुलासा हुआ था। इसमें तेजी लाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है और आरबीआई जैसे संस्थान सलाह दे रहे हैं। मगर सरकार के कदम आरबीआई की सलाह से अलग है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए खर्च बढ़ाने के कहा था, मगर घाटे के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए सरकार के प्रयास इससे बिल्कुल अलग हैं।

सरकारी खर्च पर बनी है अनिश्चितता

सरकारी खर्च पर बनी है अनिश्चितता

साल 2019 के खत्म होने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लाखों करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का ऐलान किया था। मगर इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि मोदी सरकार के पास खर्च को बढ़ावा देने के लिए कितनी गुंजाइश है। क्योंकि सरकार पहले से ही सरकारी कंपनियों के माध्यम से 540 अरब रुपये का कर्ज ले रही है। ये एक ऐसा आंकड़ा जो फेडरल बैलेंस शीट पर प्रतिबिंबित नहीं होता है। पब्लिक फाइनेंस पर अनिश्चितता के कारण नवंबर और दिसंबर में सोवरेन यील्ड में बढ़ोतरी हुई थी।

क्या है सरकार का रुख

क्या है सरकार का रुख

सरकार टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए हर संभव पर प्रयास कर रही है ताकि पब्लिक फाइनेंस और परियोजनाओं पर खर्च किया जा सके। मगर पैसों की तंगी के चलते सरकार राज्यों को पैसे देने में देरी कर रही है। निजी अस्पतालों ने बकाया नहीं चुकाने पर सरकारी कर्मचारियों को कैश-लेस सेवाओं को निलंबित करने की धमकी दी है। एक बिल्डर ने स्टॉक एक्सचेंज को टैक्स ऑफिस तक से भुगतानों में देरी की जानकारी दी। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को होने वाली आधिकारिक प्रस्तुति से पहले घाटे के लक्ष्य पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

यह भी पढ़ें - इनकम टैक्स भरने वालों के लिए 2020 में जरूरी तारीखें, जानिये यहाँ

English summary

Modi becomes tough even a reduction of 1 rupee in tax collection is not allowed

The government is delaying in giving money to the states due to cash crunch. Private hospitals have threatened to suspend cash-less services to government employees if they do not pay their dues.
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