लगने वाला है झटका, 1 अप्रैल से बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
नयी दिल्ली। 1 अप्रैल से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने जा रहे हैं। ऑयल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने बीते शुक्रवार को कहा कि 1 अप्रैल से निश्चित रूप से ईंधन की खुदरा कीमतों में वृद्धि होगी। हालांकि कंपनी के चेरयमैन संजीव सिंह ने ये विश्वास दिलाया है कि ग्राहकों पर भारी बोझ नहीं डाला जायेगा। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण है 1 अप्रैल से भारत स्टेज (बीएस) VI उत्सर्जन मानदंड लागू होने वाले हैं। यह वर्तमान में चल रहे BS-IV और BS-III मानदंडों का अपग्रेड होगा। भारत सरकार ने मोटर वाहनों सहित आंतरिक ज्वलन इंजन उपकरणों से वायु प्रदूषकों के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए बीएस उत्सर्जन मानकों को स्टैंडर्ड बनाया है। भारत एक अंतराल के साथ यूरोपीय उत्सर्जन मानदंडों को ही लागू कर रहा है।
प्रदूषण में आयेगी कमी
बीएस नियमों में अधिक सख्ती से ऑटोमोबाइलों की टेलपाइप उत्सर्जन में प्रदूषकों के लिए कम क्षमता होगी। असल में भारत के बीएस स्केल में आने से गाड़ियां स्वच्छ और ग्रीनर बन रही हैं। लोअर टेलपाइप उत्सर्जन अधिक कुशल इंजन और क्लीनर ईंधन दोनों का कार्य संभालता है। तेल रिफाइनरों ने क्लीनर बीएस-VI ईंधन का उत्पादन करने के लिए अपनी रिफाइनरियों को अपग्रेड किया है, जिसके लिए भारी निवेश किया गया है। यही वजह है कि कंपनियां ईंधन महंगा करके अपनी निवेश लागत वसूलेंगी।
17000 करोड़ रु से अधिक का निवेश
इंडियन ऑयल के चेयरमैन के अनुसार कंपनी ने अपग्रेडेशन में 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इससे पहले पिछले हफ्ते भारत पेट्रोलियम ने कहा था कि उसने लगभग 7,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। ओएनजीसी द्वारा संचालित हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने अपने निवेश के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि उसने कहा है कि वह समय सीमा तक बीएस-VI ईंधन बेचने के लिए तैयार है। ईंधन के पंप मूल्य में वृद्धि कंपनी की उस लागत को कम करेगी, जो तेल विपणन कंपनियों ने बतौर निवेश खर्च की है। असल में ग्राहकों को ऑटो ईंधन के लिए थोड़ा अतिरिक्त भुगतान करना होगा जिससे क्लीनर ईंधन मिलेगा और उससे हवा भी साफ होगी।
क्या है बीएस-VI और बीएस-IV में अंतर
BS-IV और BS-VI (जो कि यूरो 6 से तुलनीय है) के बीच मुख्य अंतर ईंधन में सल्फर की मात्रा में है। सल्फर कम होगा तो ईंधन उतना ही अधिक साफ होगा। इसलिए बीएस-VI ईंधन अनिवार्य रूप से कम सल्फर वाला डीजल और पेट्रोल होगा। हालांकि अकेले स्वच्छ ईंधन से वायु प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बल्कि ईंधन के साथ साथ जरूरी है कि वाहन भी बीएस-6 इंजन वाले ही पेश किये जायें, जो कि कंपनियां कर भी रही हैं। लगभग सभी ऑटो कंपनियां बीए-6 वाहन ही तैयार कर रही हैं।
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