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सरकार ने माना, नोटबंदी के बाद नोटों का बढ़ा सर्कुलेशन

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा करने से ठीक पहले अर्थव्यवस्था में नोट्स इन सर्कुलेशन (एनआईसी) चार नवंबर 2016 को 17,741 अरब रुपयों की तुलना में नवंबर 2019 में बढ़कर 22,420 अरब रुपये हो गए हैं। यह जानकारी नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों से मिली है। नोटबंदी के बाद भी नोटों में वृद्धि के मुद्दे पर राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि नोटबंदी और डिजिटल नकदी पहल ने 2,934.80 अरब रुपये के नोटों का प्रचलन कम किया है।

सरकार ने माना, नोटबंदी के बाद नोटों का बढ़ा सर्कुलेशन

बताया कदम को फायदेमंद

सरकार द्वारा दिया गया तर्क यह है कि एनआईसी अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 तक सालाना आधार पर 14.51 फीसदी की औसत वृद्धि दर से बढ़ी है। इस दर पर एनआईसी 25 नवंबर 2019 तक 25,354.93 अरब रुपये तक बढ़ने की संभावना रही। लेकिन, उक्त तारीख को वास्तविक एनआईसी केवल 22,420 अरब रुपये है जिसका अर्थ है कि नोटबंदी के बाद डिजिटलीकरण और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग में 2,934.80 अरब रुपये की कमी रही है।

ये थे नोटबंदी के कारण

ठाकुर ने कहा कि सरकार ने काले धन को बाहर निकालने, नकली भारतीय नोटों को खत्म करने, आतंक के वित्तपोषण को खत्म करने सहित कई उद्देश्यों के साथ आठ नवंबर 2016 को 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को रद्द करने का फैसला किया था। ठाकुर ने यह भी दावा किया कि नोटबंदी से जाली मुद्रा पर अंकुश लगा है।

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English summary

Increased circulation of notes after demonetisation

Demonetization did not help in curbing the movement of cash.
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