INDIA : जानिए कितने विदेशी कर्ज में डूबा है देश
मुंबई। मार्च 2020 में समाप्त हुई तिमाही में भारत का विदेशी कर्ज मुद्रा मूल्यांकन प्रभाव और वाणिज्यिक उधारी तथा अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के डिपॉजिट्स के कारण बढ़ कर 558.5 अरब डॉलर रहा। पिछले साल के समय के दौरान से समीक्षाधीन अवधि में विदेशी कर्ज वर्ष दर वर्ष आधार पर 2.8 प्रतिशत या 15.4 अरब डॉलर बढ़ा है। वहीं दूसरी तरफ भारत का विदेशी मुद्रा भी हाल ही में 500 बिलियन डॉलर के पार निकला है।
आरबीआई ने जारी किए आंकड़े
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि मार्च 2020 के अंत में भारत का विदेशी कर्ज 558.5 अरब डॉलर हो गया, जो मार्च 2019 के अंत की तुलना में 15.4 अरब डॉलर अधिक है। आरबीआई ने कहा है, भारतीय रुपये और अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण मूल्यांकन लाभ 16.6 अरब डॉलर था। मूल्यांकन असर को छोड़ दिया जाए, विदेशी कर्ज में वृद्धि मार्च 2020 के अंत में मार्च 2019 के मुकाबले 15.4 अरब डॉलर के बदले 32 अरब डॉलर रहा होता।
तेजी से बढ़ रहा विदेशी मुद्रा भंडार
वहीं दूसरी तरफ एक और महत्वपूर्ण बात रही कि कि 2014 में जब पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दोबारा 5 साल पूरा करने वाली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी तो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तेजी से वृद्धि हो रही है। इसी दौरान भारत तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश भी बन गया। भारत पहले ही विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में अब चीन और जापान ही हमसे आगे हैं। वहीं आयात के लिए खर्च और निर्यात से हुई डॉलर की आमदनी के अंतर को चालू खाता घाटा या चालू खाता अधिशेष कहा जाता है। चालू खाता की स्थिति से किसी देश की आर्थिक ताकत का भी अंदाजा लगाया जाता है। अगर चालू खाता घाटा बढ़ जाए तो समझिए कि आमदनी के मुकाबले डॉलर का खर्च बढ़ रहा है।
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