मोदी सरकार ला रही सबसे बड़ी कर्ज माफी योजना, उठाएं फायदा
नई दिल्ली। मोदी सरकार मामूली कर्ज को भी पटा पाने में अक्षम लोगों का कर्ज माफ करने जा रही है। मोदी सरकार उन लोगों का कर्ज माफ करेगी, जो गरीब हैं और 35,000 रुपये तक का उन पर कर्ज है। गरीबों को सरकार का यह तोहफा जल्द ही मिलने जा रहा है। अनुमान है कि इसका फायदा लाखों गरीबों को मिलेगा। सरकार ने अनुमान जताया है कि इस योजना पर करीब 10,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सरकार का मानना है कि इन छोटे कर्ज की वजह से ये लोग चेन का जीवन नहीं गुजार पा रहे हैं। ऐसे में सरकार की इस पहल से जहां इनका कर्ज खत्म होगा वहीं ये लोग नए सिरे से जीवन शुरू कर सकेंगे। सरकार ऐसा इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्शी कोड (आईबीसी) के फ्रेश स्टार्ट प्रावधानों के तहत करेगी।
माइक्रो फाइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री से हो रही बात
कारपोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी इंजेती श्रीनिवास के अनुसार इस योजना पर डिस्कशन चल रहा है। सरकार माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री से बातचीत कर रही है। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) के लोगों को राहत दी जाएगी। इससे माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री को भी मदद मिलेगी। उनके अनुसार अगर कोई ऐसी योजना का लाभ एक बार ले लेता है, तो 5 साल तक दोबारा उसको इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि हम माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री की चिंताओं को दूर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। श्रीनिवास के अनुसार इस योजना पर करीब 10,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
ये होंगी कर्ज माफी की शर्तें
-श्रीनिवास के अनुसार आईबीसी के तहत फ्रेश स्टार्ट प्रावधानों में साफ है कि जिसकी आमदनी 60,000 रुपये वार्षिक से ज्यादा नहीं होगी उसको इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
-वहीं कर्ज लेने वाले की कुल संपत्ति 20,000 रुपए से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए।
-इन 2 शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति का लोन अगर 35,000 रुपए तक है, तो उसका कर्जा माफ किया जाएगा।
-इसके अलावा लाभार्थी के पास अपना खुद का आवास भी नहीं होना चाहिए।
माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री की होगी मदद
न्यूज एजेंसी पीटीआई से कारपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि आर्थिक रूप से गरीब वर्ग के लोगों को कर्ज मुक्त करने के लिए योजना पर काम चल रहा है। इस योजना को लेकर माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री से बात हो रही है। उन्होंने कहा कि यह कर्ज माफी व्यक्तिगत दिवालियापन से जुड़े मामले के तहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर लागू की जाएगी और 3 से 4 साल में सरकार इस पर करीब 10,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।