बजट 2020 : क्या बीमा सेक्टर की पूरी होगी मांग
केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा। बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी।
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा। बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। बता दें कि मोदी सरकार के पहले आम बजट फरवरी के आखिरी दिन को पेश किया जाता था, जिसे मोदी सरकार ने फरवरी के पहले दिन कर दिया। पहले रेल बजट भी पेश किया जाता था, जिसे सरकार ने बंद करके इसको आम बजट में शामिल कर दिया है। बजट 2020 : बैंकों को अब और फंड मिलने की उम्मीद कम ये भी पढ़ें
लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री को भी इस बजट काफी उम्मीदें
इस बजट अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के बीच कई बड़े एलान होने की उम्मीद की जा रही है। लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री को भी इस बजट काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। कुछ इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स इंश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ऊपरी सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि वर्तमान में इंश्योरेंस में एफडीआई की ऊपरी सीमा 49 फीसदी है। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि इसे बढ़ाकर 74 फीसदी किया जा सकता है।
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बढ़ सकती है FDI की सीमा
बता दें कि इससे पहले केवल इंश्योरेंस इंटरमीडियरीज को राहत दी गई थी। जिनके लिए एफडीआई सीमा 100 फीसदी तक जा सकती है। Probus इंश्योरेंस ब्रोकर के डायरेक्टर की मानें तो आने वाले बजट में एफडीआई सीमा में इजाफा हो सकता है क्योंकि इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई में राहत साल 2015 में दी गई थी, जब यह 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी किया गया था। इसलिए सरकार लाइफ इंश्योरेंस में एफडीआई को बढ़ा सकती है। जिससे दूसरी निजी कंपनियां भी इस सेक्टर में उतरेंगी।
बीमाधारकों को होगा फायदा
जानकारी दें कि इससे बीमाधारकों को फायदा तुरंत और सीधे नहीं मिलेगा। विदेश से निवेश आने से टेक्नोलॉजी में सुधार होगा और डिस्ट्रीब्यूशन चैनल भी बेहतर होंगे। वहीं उन्होंने कहा कि बीमाधारकों को नए उत्पाद और बेहतर कस्टमर एक्सपीरियंस के तौर पर फायदा होगा। एफडीआई के बढ़ने से भारत में इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ेगी और ज्यादा लोग इससे जुड़ेंगे। इंश्योरेंस सेक्टर में निवेश के लिए कंपनियों को ज्यादा पैसा लगाना पड़ता है और रिटर्न मिलने से पहले कंपनियों को कुछ साल तक बड़े फंड का निवेश करना पड़ता है। इसमें नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स को कंपनी और बीमाधारक के लिए नतीजा देने के लिए लंबा समय लगता है।
80सी की सीमा में इजाफा होने की उम्मीद
वहीं इंडस्ट्री को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी की सीमा में इजाफा होने की भी उम्मीद है जिससे इंश्योरेंस सेक्टर को तेजी मिलेगी। वहीं वर्तमान में सेक्शन 80सी के भीतर सालाना 1.5 लाख रुपये तक की सीमा है जिसमें इंश्योरेंस प्रीमियम और पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस आदि में निवेश भी शामिल है। वहीं गोयल ने कहा कि बीमा सेक्टर टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी में कटौती और 80सी की सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है जिससे लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को चुनने के लिए ज्यादा लोग आकर्षित होंगे।
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