लगेगा झटका : जरूरी दवाएं महंगी करने की तैयारी
नयी दिल्ली। दवाओं की कीमतों को लेकर एक बुरी खबर है। दरअसल व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कीमतें जल्द ही बढ़ सकती हैं। इन दवाओं में प्रमुख एंटीबायोटिक्स, एंटी-एलर्जी, मलेरिया-रोधी दवाएं, बीसीजी वैक्सीन और विटामिन सी शामिल है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण या एनपीपीए ने शुक्रवार 13 दिसंबर को 21 फॉर्मूलेशंस की उच्चतम कीमतों में 50 फीसदी की वृद्धि की है। इससे दवा निर्माताओं को सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) और मध्यवर्ती सामग्री की उच्च लागतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। एनपीपीए के मुताबिक उसे पिछले दो वर्षों से दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के पैरा 19 के तहत कीमतों में सुधार के लिए आवेदन मिल रहे थे। एनपीपीए को भेजी जानी वाली एप्लिकेशनों में विभिन्न कारणों का हवाला दिया जा रहा था, जिनमें एपीआई लागत में वृद्धि, उत्पादन की लागत में वृद्धि, विनिमय दर वगैरह शामिल हैं। अब एनपीपीए द्वारा 21 फॉर्मुलेशंस के दाम बढ़ाने से दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी।
इन फॉर्मुलेशंस के दाम बढ़े
जिन फॉर्मुलेशंस की कीमतें बदलें गयी हैं उनमें कुष्ठ रोग के उपचार के लिए क्लोफाजिमिन, एंटीबायोटिक मेट्रोनिडाजोल, एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी), एंटीबायोटिक कॉ- ट्रिमोक्साजोल, एंटी-एलर्जी दवा फेनिरामाइन, एंटीबायोटिक बेंजिल पेनिसिलिन, क्लोरोक्वीन (एक मलेरिया-रोधी दवा), डैप्सोन (एक कुष्ठ विरोधी रोग दवा) और एंटी-हाइपरटेंसिव दवा फ्यूरोसेमाइड शामिल है। उदारहण के लिए एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी) के दाम अब 50 फीसदी बढ़ कर जीएसटी के बगैर 1.34 रुपये होंगे। इनमें से अधिकांश दवाओं का इस्तेमाल ट्रीटमेंट की फर्स्ट लाइन के रूप में किया जाता है, जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं।
चीन से आयातित एपीआई के दाम बढ़े
भारत की कुल एपीआई यानी दवाओं के लिए कच्चे माल की जरूरत का 60 फीसदे चीन से आयात किया जाता है। इसी वजह से भारत की दवा कंपनियों की लागत बढ़ जाती है। कुछ दवाओं के मामलों में पर्यावरण से संबंधित चिंताओं के कारण चीन की फैक्ट्रियों में उथल-पुथल के चलते चीन से आयातित एपीआई की कीमतों में 200 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गयी है। इस वजह से कुछ दवाएँ बाजार में कम हो गयी थी।
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