अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी खबर, और नीचे जाएगी जीडीपी
नयी दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छे दौर से नहीं गुजर रही है। देश की विकास दर कई सालों के निचले स्तर पर है। इसके अलावा कई एजेंसियों ने भारत की विकास दर में सुस्ती बरकरार रहने का अनुमान लगाया है। देश की अर्थव्यवस्था के लिए कई निगेटिव खबरें आ रही हैं। इस बीच जापान की फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी नोमुरा ने चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च तिमाही में 4.3 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान लगाया है। यह देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती बरकरार रहने का संकेत है। इसके लिए नोमुरा ने गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी या एनबीएफसी सेक्टर में चल रही समस्याओं को मुख्य कारण बताया है। नोमुरा ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के लिए भी 4.7 फीसदी की कमजोर विकास दर का अनुमान लगाया है। घरेलू स्तर पर बैंक लोन देने में टाइट बने हुए हैं, क्योंकि एनबीएफसी सेक्टर को लेकर बाजार की चिंता लंबी समय के लिए है।
2019 और 2020 के लिए घटाया अनुमान
नोमुरा ने पहले 2019 के लिए भारत की विकास दर 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, जिसे इसने अपने नये अनुमान में घटा कर 4.9 फीसदी कर दिया है। वहीं 2020 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए अनुमानित दर पहले के 6.3 फीसदी से घटा कर 5.3 फीसदी कर दी है। नोमुरा के मुताबिक 2021 में भारत की विकास दर 6.5 फीसदी रह सकती है। वहीं वित्त वर्षों में देखें तो नोमुरा ने 2019-20 के लिए 4.7 फीसदी और 2020-21 के लिए 5.7 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया है। नोमुरा की रिपोर्ट में आरबीआई के फरवरी में होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट घटाने की संभावना नहीं है।
6 सालों के निचले के स्तर पर विकास दर
जुलाई-सितंबर तिमाही विकास दर 4.5 फीसदी रही थी, जो पिछले 6 सालों मे सबसे कम है। इससे पहले का निचला स्तर 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही में 4.3 फीसदी रहा था। वहीं 2018-19 की जुलाई-सितंबर में 7 फीसदी विकास दर रही थी। इसके अलावा 2018-19 की अप्रैल-सितंबर में 7.5 फीसदी के मुकाबले 2019-20 की समान अवधि में भी देश की विकास दर 4.8 फीसदी रही। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कमजोर घरेलू माँग का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले हफ्ते अपनी मौद्रिक समीक्षा में 2019-20 के लिए अनुमानित विकास दर 6.1 फीसदी से घटा कर 5 फीसदी कर दी थी।
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