AGR मामला : एयरटेल ने अदा किये और 8000 करोड़ रुपये
नयी दिल्ली। एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को एजीआर के रूप में 8004 करोड़ रुपये का और भुगतान कर दिया है। इसके साथ ही एयरटेल द्वारा सरकार को चुकाए गये कुल एजीआर की रकम 18,004 करोड़ रुपये हो गयी है। ताजा भुगतान में एयरटेल ने अपने सेल्फ असेसमेंट के आधार पर बकाया 3004 करोड़ रुपये फुल एंड फाइनल पेमेंट के रूप में अदा किये हैं। जबकि एयरटेल ने 5000 रुपये 'एड-हॉक पेमेंट' के रूप में जमा किये हैं, जो दूरसंचार विभाग द्वारा अपने अनुमान की टेलीकॉम कंपनी के अनुमान से तुलना करने के बाद रिफंड कर दिया जा सकता है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक एयरटेल पर 35000 करोड़ रुपये का बकाया एजीआर है। सरकार के अनुमान के लिहाज से भी एयरटेल आधे से ज्यादा एजीआर का भुगतान कर चुकी है।
कैसा है वोडाफोन का हाल
रिलायंस जियो वो पहली टेलीकॉम कंपनी रही, जिसने अपने बकाया एजीआर का पूरा का पूरा भुगतान कर दिया। जियो पर 195 करोड़ रुपये के एजीआर का बकाया था। वहीं वोडाफोन पर 53000 करोड़ रुपये से ज्यादा का एजीआर है, जिसमें से कंपनी सिर्फ 3500 करोड़ रुपये ही अजा कर सकी है। दूसरी ओर टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने स्व-मूल्यांकन के अनुसार 2,197 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और सरकार को एजीआर गणना का विवरण पेश किया है। वोडाफोन की हालत इस मामले में काफी नाजुक बनी हुई है।
सरकार की तरफ से राहत नहीं
सरकार ने अपने 23 जनवरी के उस आदेश को भी वापस ले लिया है जिसमें उसने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया था। सरकार ने बकाया राशि का भुगतान करने के लिए अदालत द्वारा निर्देशित समय सीमा को पूरा करने में विफल रहने पर टेलीकॉम कंपिनयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने का फैसला किया था। दूरसंचार विभाग ने कहा है कि उसे सर्वोच्च न्यायालय के 24 अक्टूबर के फैसले के अनुपालन में तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश है। हालांकि सरकार ने ऐसे संकेत दिये हैं टेलीकॉम कंपनियों की बैंक गारंटी नहीं जब्त की जायेगी।
वोडाफोन को लगेंगे 15 साल
हाल ही वोडाफोन ने कहा कि उसे अपना बकाया एजीआर चुकाने में 15 साल लग जायेंगे। वोडाफोन आइडिया ने कारोबार में बने रहने के लिए सरकार के सामने बहुत सी मांगें रखी हैं। वोडाफोन की मांग है कि 1 अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा का न्यूनतम शुल्क प्रति जीबी 35 रुपये होना चाहिए। वहीं महीने का कम से कम चार्ज 50 रुपये का तय होना चाहिए। दिसंबर में सभी टेलीकॉम कंपनियां पहले ही अपने चार्जेस बढ़ा चुकी हैं।
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