एसबीआई : लोन सस्ता करने की तैयारी, जानें क्या हो रहा बदलाव
मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपने लघु एवं मध्यम उद्योग ऋण, आवास ऋण, वाहन ऋण और अन्य खुदरा ऋणों पर एक अक्टूबर से ब्याज दर रेपो दर के आधार पर वसूलेगा। बैंक ने सोमवार को घोषणा की कि वह अपने सभी तरह के परिवर्तनीय ब्याज दर वाले ऋणों के लिए बाहरी मानक रेपो दर को मानेगा।
ये था आरबीआई का फैसला
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 4 सितंबर को सभी बैंकों से कहा था कि वे अपने परिवर्तनीय ब्याज दरों वाले ऋणों की ब्याज दर किसी बाहरी मानक से संबद्ध करें। एसबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ''सभी परिवर्तनीय ब्याज दर वाले ऋणों के लिए हमने ब्याज दर का बाहरी मानक रेपो दर को अपनाने का निर्णय किया है। लघु एवं उद्योग ऋण, आवास ऋण और अन्य खुदरा ऋणों पर यह ब्याज दरें एक अक्टूबर 2019 से प्रभावी होंगी।'' रिजर्व बैंक ने बैंकों को रेपो दर, तिमाही या छमाही राजकोषीय बिल या फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जारी किए गए किसी भी बाजार ब्याज दर मानक में से एक को चुनने का विकल्प दिया था।
आखिर क्यों दिया आरबीआई ने ऐसा आदेश
आरबीआई की देश के बैंकों से काफी समय से यह शिकायत है कि वह बैंचमार्क दरों को घटाने के बाद भी अपने ग्राहकों को इसका पूरा फायदा नहीं देते हैं। कई बार आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की, लेकिन ज्यादातर बार बैंकों ने या तो ग्राहकों का इसका फायदा नहीं दिया या दिया भी आधा-अधूरा ही। इसके बाद ही आरबीआई को यह आदेश देना पड़ा। अब जैसे ही आरबीआई अपनी रेपो रेट में कटौती करेगा या उस बढ़ाएगा, उसी अनुपात में बैंकों की ब्याज दरों में भी अंतर आ जाएगा। यह बैंकमार्क की दरें कर्ज के लिए हैं, यानी बैंकों का कर्ज उसी हिसाब से सस्ता हो जाएगा।
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