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आर्थिक सुस्ती सिर्फ ब्याज दर घटाने से दूर नहीं होगी: SBI रिसर्च

एसबीआई की एक रिसर्च में कहा गया है कि मौजूदा मंदी से निपटने के लिए आरबीआई की उदार मौद्रिक नीति काफी नहीं।

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नई द‍िल्‍ली: एसबीआई की एक रिसर्च में कहा गया है कि मौजूदा मंदी से निपटने के लिए आरबीआई की उदार मौद्रिक नीति काफी नहीं। अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए अकेले नरम मौद्रिक रुख अपनाने से कुछ नहीं होगा, इसके बजाय सरकार को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र की मांग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। एसबबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए सरकार को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के जरिए आगे बढ़कर खर्च करना होगा। एसबीआई होम लोन पर देने जा रहा ये बड़ी सुविधा, जानिए प्‍लान‍िंग ये भी पढ़ें

आर्थिक सुस्ती ब्याज दर घटाने से दूर नहीं होगी: SBI रिसर्च

मनरेगा, पीएम-किसान में खर्च बढ़ाना होगा

बता दें कि एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को आगाह किया कि यदि सरकार राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के लिए खर्च में किसी तरह की कटौती करती है तो यह वृद्धि की दृष्टि से ठीक नहीं होगा। रिपोर्ट में इस बात का भी ज‍िक्र किया गया कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा सुस्ती को केवल मौद्रिक नीति में होने वाले उपाय से ही हल नहीं किया जा सकता, सरकार को अर्थपूर्ण तरीके से मनरेगा और पीएम-किसान योजना के शुरू में ही खर्च बढ़ाकर मांग में गिरावट को रोकना होगा।

तेजी लानी होगी PM-किसान योजना में

वहीं पीएम-किसान पोर्टल के अनुसार इस योजना के लाभार्थियों की संख्या अभी 6.89 करोड़ ही है, जबकि लक्ष्य 14.6 करोड़ का है। किसानों के आंकड़ों के अनुमोदन की धीमी रफ्तार की वजह से यह स्थिति है। दूसरी तरफ रिपोर्ट यह कहती है कि ग्रामीण मांग बढ़ाने के लिए इस काम को तेजी से करना होगा। मनरेगा की वेबसाइट के अनुसार केंद्र द्वारा 13 सितंबर तक कुल 45,903 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 73 प्रतिशत यानी 33,420 करोड़ रुपये की राशि ही खर्च हुई है।

राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत तक रहना चाहिए: एसबीआई रिसर्च

पूंजीगत व्यय का बजट अनुमान 3,38,085 करोड़ रुपये है। जो क‍ि जुलाई तक इसमें से सिर्फ 31.8 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई थी। एक साल पहले समान अवधि में बजट अनुमान की 37.1 प्रतिशत राशि खर्च कर ली गई थी। वहीं रिपोर्ट के अनुसार 2007-14 के दौरान निजी निवेश का हिस्सा मूल्य के हिसाब से 50 प्रतिशत था, जबकि 2015-19 के दौरान यह उल्लेखनीय रूप से घटकर 30 प्रतिशत रह गया। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ने कहा है कि राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत तक रहना चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र खर्च के लिए अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव इसके ऊपर होना चाहिए।

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English summary

SBI Report: Economic Sluggishness Will Not Be Far From Just Reducing Interest Rate

If the country's largest bank SBI is to be believed, then only the reduction in policy rates will do nothing to remove the sluggishness of the economy।
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