सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से ज्यादा तेजी से बढ़ेगी
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) मौजूदा वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी। इस पर बैंकरप्सी कानूनों, वस्तु एवं सेवा कर (GST), फर्जी कंपनियों पर कार्रवाई और पिछले पांच सालों में अपनाए गए राजकोषीय विवेक जैसे मजबूत संरचनागत सुधारों का असर होगा। यह बात मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रह्मण्यम (CEA Krishnamurthy v. Subramanian) ने कही है। सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इन उपायों के असर से मौजूदा आर्थिक सुस्ती का स्थान धीरे-धीरे उच्च निवेश और उपभोग ले लेगा।
हम अपने अनुमान पर कायम
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रह्मण्यम (CEA Krishnamurthy v. Subramanian) ने कहा, "हम 7 प्रतिशत वृद्धि दर के अपने अनुमान पर कायम हैं। किए गए सुधारों का असर दिखने लगेगा। भारत जल्द ही चीन से आगे निकल कर सबसे तेज वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनने में सक्षम होगा। किए गए सुधारों के कारण हमारे पास अभी भी तीव्र वृद्धि दर की पर्याप्त संभावना है।"
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी 7 फीसदी से ज्यादा उम्मीदें जताई गई हैं
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की जीडीपी (GDP) दर का 2019-20 के लिए अनुमान 7.3 प्रतिशत पेश किया है।
जल्द दिखेगा सुधारों का असर
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर दिसंबर की तिमाही में 6.6 प्रतिशत थी, जो पांच तिमाहियों में सबसे कम थी। इसके कारण सरकार के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले महीने 2018-19 के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया। सीईए ने कहा कि आर्थिक वृद्धि पर निवेश का काफी असर होगा और चुनावी वर्ष के कारण उद्योग जगत इंतजार करो और देखो की स्थिति में है।
ये है निवेश में कमी का कारण
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रह्मण्यम (CEA Krishnamurthy v. Subramanian) ने कहा कि अर्थव्यवस्था के पास विकास करने की क्षमता है और उपभोग 80 प्रतिशत से नीचे चला गया, जिसके कारण निवेश में कमी हुई है। सुब्रह्मण्यम के अनुसार, पिछले पांच सालों में कई संरचनागत सुधार हुए हैं, जिनके परिणाम थोड़े समय बाद दिखने लगेंगे।
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