3.6 लाख करोड़ रुपये पर इस माह हो सकता है फैसला, जानें क्या है मामला
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति केंद्रीय बैंक के अधिशेष हस्तांतरण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत व इसके लागू करने की विशेष समय-सीमा का सुझाव दे सकती है। यह जानकारी एक आधिकारिक सूत्र ने दी। समिति का गठन आरबीआई की आरक्षित निधि के वितरण की नीति का परीक्षण करने के लिए किया गया है। जालान समिति (Jalan Committee) अपनी रिपोर्ट इस महीने के आखिर में सौंप सकती है। पिछले साल मंत्रालय ने 3.6 लाख करोड़ रुपये के अधिशेष का हस्तांतरण करने की मांग की थी, जोकि आरबीआई (rbi) की कुल आरक्षित निधि 9.59 लाख करोड़ रुपये की एक तिहाई से अधिक होती है।
जालान समिति (Jalan Committee) देगी सुझाव
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ आधिकारिक सूत्र ने बताया कि जालान समिति (Jalan Committee) की रिपोर्ट के सुझाव के अनुसार अगर केंद्रीय बैंक के लाभ वितरण की नीति स्वीकार की जाती है तो यह आरबीआई (rbi) की वर्तमान और भविष्य की अधिशेष निधि के संबंध में लागू होगा। अधिशेष आरक्षित निधि केंद्रीय बैंक की कुल परिसंपत्ति का करीब 28 फीसदी है।
आरबीआई (rbi) के पास काफी ज्यादा भंडार
मंत्रालय सूत्र के अनुसार, जालान समिति (Jalan Committee) आरबीआई (RBI) के पिछले असंपादित लाभ, आकस्मिक आरक्षित निधि के साथ-साथ इस पर भी विचार कर सकती है कि केंद्रीय बैंक को किस सीमा तक आरक्षित निधि रखनी चाहिए और किस सीमा तक सरकार को हस्तांतरित करनी चाहिए। दुनिया के कई केंद्रीय बैंक अपनी कुल परिसंपत्ति का दो से तीन फीसदी आकस्मिक निधि के रूप में अपने पास रखते हैं, जबकि आरबीआई (rbi) 70.5 फीसदी रखता है।
सरकार ने की थी मांग
पिछले साल मंत्रालय ने 3.6 लाख करोड़ रुपये के अधिशेष का हस्तांतरण करने की मांग की थी, जोकि आरबीआई (rbi) की कुल आरक्षित निधि 9.59 लाख करोड़ रुपये की एक तिहाई से अधिक होती है। इससे सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच लगातार टकराव की स्थिति पैदा हो गई। सरकार का मानना है कि दुनिया के केंद्रीय बैंकों की तुलना में आरबीआई (rbi) अपनी कुल परिसंपत्ति का बहुत अधिक हिस्सा (28 फीसदी) अपने पास रखता है।
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