Modi सरकार का China को लेकर बड़ा फैसला, तैनात होंगे कस्टम इंटेलीजेंस अफसर
नई दिल्ली। मोदी सरकार (Modi government) चीन (China) के बारे में कड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि वह चीन में कस्टम इंटेलीजेंस अफसर (Customs intelligence officers) की नियुक्त करेगी। यह अफसर चीन से होने वाले आयात के दौरान मनी लॉड्रिंग (money laundering) और ब्लैक मनी (black money) के इस्तेमाल पर नजर रखेंगे। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। इन अफसरों की तैनाती के बाद चीन (China) से गलत तरीके से होने वाले कारोबार को रोका जा सकेगा। चीन के साथ लगातार बढ़ते व्यापार के चलते सरकार यह कदम उठा रही है। पिछले कुछ समय से चीन से कारोबार के दौरान गड़बड़ी की शिकायतें बढ़ी हैं। मामले की संवेदनशीलता को इसी से बात से समझा जा सकता है कि इन अफसरों के नाम का सुझाव संबंधित मंत्रालय से आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में तय किया जाएगा।
यहां होगी तैनाती
सरकार के फैसले के मुताबिक चीन (China) में ऐसे 2 अफसरों की तैनाती की जाएगी। इस तैनाती के लिए कस्टम ओवरसीज इंटेलीजेंस नेटवर्क (COIN) के तहत 2 पोस्ट क्रिएट की जा रही हैं। एक अफसर की तैनाती बीजिंग स्थित दूतावास (Indian Embassy) में और दूसरे अफसर की तैनाती चीन के शहर गुआंगजौ (Guangzhou) में स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास (Consulate General) में की जागएी। इन अधिकारियों ने नाम तय करने के लिए वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) में प्रोसेस शुरू किया जा चुका है।
चीन से होने वाले कारोबारी फ्रॉड पर लगेगा अंकुश
चीन (China) से होने वाले कारोबारी फ्रॉड पर अंकुश लगाने की शुरू होने वाली इस प्रक्रिया की पहल डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (DRI) ने शुरू की है। यह एजेंसी कस्टम फ्रॉड और स्मलिंग जैसे मामलों को देखने वाली देश की प्रमुख एजेंसी है। एक अधिकारी के अनुसार चीन के साथ ट्रेड बेस्ड मनी लॉड्रिंग (trade-based money laundering) और अन्य तरह के वित्तीय फ्रॉड (financial frauds) की शिकायतें बढ़ने के बाद यह कदम उठाया जा रहा है।
क्या करेंगे यह अफसर
यह अफसर विशेष कार्य में लगाए जाते हैं। COIN officers आमतौर पर कारोबार के दौरान गड़बड़ी के तरीकों का पता लगाते हैं और संबंधित सूचनाएं इंटेलीजेंस एजेंसीज को देते हैं, जिसमें मुख्यता डीआरआई (DRI) शामिल है। बाद में इन सूचनाओं के आधार पर जांच की जाती है और एक्शन लिया जाता है। चीन (China) के बढ़ते कारोबार के साथ साथ शिकायतें बढ़नें के चलते यह कठोर फैसला लिया गया है।
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