Budget 2020 : जानिए इस बार क्यों है फुल बजट, क्या होता है अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट
नई दिल्ली। देश में चुनाव के बीच पिछला बजट पेश किया गया था, तो उस समय बजट, अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट को लेकर काफी चर्चा हुई थी। लेकिन इस बार मोदी सरकार फुल बजट पेश करेगी। लेकिन ऐसे में यह जानना जरूरी है कि फुल बजट और अन्य तरीके के बजट में क्या अंतर होता है।
3 तरह के होते हैं बजट
आमतौर पर देश में सरकारें बजट पेश करती हैं। इसे फुल बजट कहा जाता है। इसमें सरकार रह तरह की योजनाओं की घोषणा करती है। वहीं अगर किसी सरकार के कार्यकाल का ज्यादा समय नहीं बचा हो तो उस स्थिति में सरकारें परंपरा के अनुसार आगामी कुछ माह के जरूरी खर्च को चलाने के लिए संसद से अनुमति लेती हैं। बाद में जैसे ही नई सरकार का गठन होता है वह पूरा बजट पेश करती है।
क्या है अंतरिम बजट
परंपरा के अलग हट कर कई बार सरकारों ने वोट ऑन अकाउंट की जगह अंतरिम बजट पेश किया है। अंतरिम बजट में सरकार नई स्कीमों की घोषणा भी कर सकती हैं। यह बजट एक तरह से फुल बजट ही होता है, लेकिन क्योंकि सरकार का कार्यकाल कुछ माह का बचा होता है ऐसी सरकार का पेश बजट अंतरिम बजट कहलाता है।
अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर
दोनों ही बजट में सरकारी खर्चों के लिए संसद से मंजूरी ली जाती है, लेकिन अंतरिम बजट आम बजट से अलग हो जाता है। अंतरिम बजट में सामान्यतः सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती। हालांकि, इसकी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। चुनाव के बाद गठित सरकार ही अपनी नीतियों के मुताबिक फैसले लेती है और योजनाओं की घोषणा करती है। हालांकि, पहले भी कुछ वित्त मंत्री पूर्व टैक्स की दरों में कटौती जैसे नीतिगत फैसले अंतरिम बजट में ले चुके हैं।
अंतरिम बजट और लेखानुदान में अंतर
जब केंद्र सरकार पूरे साल की बजाय कुछ ही महीनों के लिए संसद से जरूरी खर्च के लिए अनुमति मांगती है तो वह अंतरिम बजट की बजाय वोट ऑन अकाउंट पेश कर सकती है। अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों ही कुछ ही महीनों के लिए होते हैं, लेकिन दोनों के पेश करने के तरीके में अंतर होता है। अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के अलावा राजस्व का भी ब्यौरा देती है, जबकि लेखानुदान में सिर्फ खर्च के लिए संसद से मंजूरी मांगती है।
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