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1 फरवरी से बदल रहे जीवन बीमा पॉलिसी के नियम, जानिये क्या पड़ेगा असर

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नयी दिल्ली। अगर आपने कोई जीवन बीमा पॉलिसी ले रखी है या ऐसी कोई पॉलिसी लेने पर विचार कर रहे हैं तो उससे पहले जान लें उन नियमों के बारे में जो 1 फरवरी से बदलने जा रहे हैं। यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, जिन्हें यूलिप भी कहा जाता है, और पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए नए दिशानिर्देश 1 फरवरी से लागू होने वाले हैं। इंश्योरेंस रेगुलेटर भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बीमा कंपनियों को यूलिप और पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसियों में बदलाव करने का निर्देश दिया है। 1 फरवरी से होने वाले ये बदलाव आपको भी प्रभावित कर सकते हैं। नये नियमों में किसी पॉलिसी को फिर से चालू करने के समय, यूलिप खरीदने के लिए राशि और पेंशन योजनाओं से पैसे निकालने की सीमा में बदलाव होने जा रहा है। इसके अलावा सरेंडर वैल्यू नियम भी बदलने वाले हैं। जानते हैं इनमें होने वाले बदलाव और आप पड़ने वाले प्रभावों के बारे में।

पॉलिसी को फिर से चालू करने का समय बढ़ेगा

पॉलिसी को फिर से चालू करने का समय बढ़ेगा

आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों से जीवन बीमा पॉलिसियों को फिर से एक्टिव करवाने के लिए अनुमत समय अवधि बढ़ाने के लिए कहा है। अब आपको यूलिप प्लान में पहले न चुकाये प्रीमियम की तारीख से 2 के बजाय 3 साल का समय मिलेगा। वहीं गैर-लिंक्ड बीमा उत्पादों के लिए पॉलिसी फिर से चालू करवाने के लिए समय अवधि अब पांच वर्ष होगी। जानकारों के मुताबिक यह एक शानदार बदलाव है, जिससे बीमा पॉलिसीधारकों को फायदा मिलेगा। अब आपको उस बंद पड़ी पॉलिसी को फिर से एक्टिव करने के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा।

यूलिप खरीदने के लिए कम राशि का भुगतान
1 फरवरी से यूलिप खरीदने के नियम और शर्तें सभी उम्र के लोगों के लिए समान हो जाएंगी। 1 फरवरी से 45 वर्ष से कम आयु के पॉलिसीधारक के लिए यूलिप खरीदने के लिए बीमित न्यूनतम राशि वार्षिक प्रीमियम के दस गुना से घटाकर सात गुना कर दी जाएगी। वर्तमान में, केवल 45 वर्ष से अधिक आयु के लोग ही सालाना प्रीमियम के 10 गुना से कम बीमित राशि वाले यूलिप खरीदने के पात्र हैं। कम बीमित राशि से बेहतर रिटर्न मिल सकता है।

पेंशन प्लान से होगा पॉलिसीधारकों को लाभ

पेंशन प्लान से होगा पॉलिसीधारकों को लाभ

बीमा कंपनियों द्वारा पेंशन प्लान में मैच्योरिटी लाभ पर दी जा रही अनिवार्य गारंटी अब वैकल्पिक होगी। वर्तमान में बीमा कंपनियों को मैच्योरिटी पर गारंटी ऑफर करनी होती है। इसका मतलब यह है कि कंपिनयों को मैच्योरिटी आय पर गारंटी देने के लिए डेब्ट इंस्ट्रुमेंट में निवेश करना पड़ता है, जिससे निवेश पर संभावित रिटर्न कम हो जाता है। इस नये नियम से पॉलिसीधारक को 'नो गारंटी विकल्प' चुनकर और बीमा कंपनी से पॉलिसी में इक्विटी एक्सपोजर बढ़वा कर अपने निवेश पर अधिक लाभ कमाने की संभावना का विकल्प चुनने की अनुमति मिलेगी।

पेंशन योजनाओं से निकासी की सीमा बढ़ेगी
फ्लेक्सिबिलिटी और लिक्विडिटी में सुधार करने के लिए बीमाकर्ताओं को अब पॉलिसीधारकों को पॉलिसी सरेंडर या मृत्यु पर 60 फीसदी तक राशि वापस देने की सुविधा देनी होगी। वर्तमान में यह सीमा 33 फीसदी है। जानकारों का मानना है कि इसका भी पॉलिसीधारकों को लाभ मिलेगा। अतिरिक्त लिक्विडिटी से पॉलिसीधारकों को जीवन के बड़े लक्ष्यों या गंभीर बीमारी के इलाज में पेंशन फंड से पैसे निकालने की सुविधा मिलेगी।

सरेंडर वैल्यू नियमों में बदलाव

सरेंडर वैल्यू नियमों में बदलाव

सरेंडर वैल्यू से जुड़े नये नियम भी पॉलिसीधारकों के लिए अधिक अनुकूल बनने जा रहे हैं। जब आप योजना की अवधि से पहले निकलने का फैसला लेते हैं, तो वह राशि है जो आप प्राप्त करते हैं उसे ही समर्पण मूल्य या सरेंडर वैल्यू कहा जाता है। जीवन बीमा पॉलिसी के मामले में यदि आप किसी वजह से अपनी पॉलिसी को समाप्त करने की सोचें तो आपको गारंटीड सरेंडर वैल्यू प्राप्त करने के लिए आपको तीन साल का इंतजार नहीं करना होगा, बल्कि अब आप दो साल में ही पॉलिसी समाप्त कर सकता सकेंगे।

स्टैंडर्डाइज्ड पार्शियल विदड्रॉल लिमिट
जरूरी मौकों पर अब आप पूरी पॉलिसी अवधि के दौरान फंड वैल्यू की अधिकतम 25 फीसदी राशि तक आंशिक रूप से निकाल सकते हैं। इन जरूरी मौकों में उच्च शिक्षा, बच्चों की शादी या गंभीर बीमारी (स्वयं और पति या पत्नी) और आवासीय संपत्ति का निर्माण शामिल है। हालांकि ग्रुप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान के मामले में किसी भी प्रकार की आंशिक निकासी की अनुमति नहीं होगी। अब नियामक ने पूरी पॉलिसी अवधि के दौरान तीन बार आंशिक निकासी की सीमा तय कर दी है, जिससे आप अब अपने रिटायरमेंट के लिए अधिक पैसे जमा कर सकेंगे।

यह भी पढ़ें - पोस्ट ऑफिस बचत खाता : बदल लें एटीएम कार्ड, वरना नहीं निकाल सकेंगे पैसे

English summary

Life insurance policy rules changing from February 1 know what will be the effect

The new guidelines for unit-linked insurance plans, also known as ULIPs, and traditional life insurance policies are set to come into effect from 1 February.
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