Gold ज्वेलरी की कीमत अलग-अलग क्यों होती है दुकानों में, जानिए इसकी बड़ी वजह
सोना खरीदने जा रहे तो आपको पता होना चाहिए कि सोने की ज्वेलरी की कीमत दुकानों में अलग-अलग क्यों होती है। सोना खरीदने से पहली उसकी परख को लेकर अक्सर लोगों के मन में शंका बनी रहती है।
नई दिल्ली, अप्रैल 20 : सोना खरीदने जा रहे तो आपको पता होना चाहिए कि सोने की ज्वेलरी की कीमत दुकानों में अलग-अलग क्यों होती है। सोना खरीदने से पहली उसकी परख को लेकर अक्सर लोगों के मन में शंका बनी रहती है। तो अगर आप भी सोने के गहने खरीदने जा रहे हैं तो सावधान रहें क्योंकि छोटी सी चूक आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है। बता दें कि सोना खरीदने और बेचने से पहले दुकानों में कीमत की जांच पड़ताल करना बेहद जरूरी है।
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ज्वेलरी दुकानों पर अलग-अलग होती हैं कीमत
भारतीयों के लिए सोना हमेशा से निवेश के लिए सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक रहा है। ज्यादातर भारतीय परिवारों के पास गोल्ड जरूर होता है। ऐतिहासिक रूप से भी भारतीयों का गोल्ड के साथ खासा जुड़ाव रहा है। शादी-ब्याह में भी सोना का विशेष महत्व हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल को छोड़ दिया जाए तो देश में गोल्ड ऐसी कमोडिटी है, जिसकी कीमतों पर सबकी नजर रहती है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि सोने के भाव रोज जारी किए जाते हैं। लेकिन ज्वैलरी की अलग-अलग दुकानों पर सोने की कीमतों में काफी अंतर होता है। इसके पीछे की वजह जानना बेहद जरुरी है। आज हम आपको अपनी खबर के जरिए इसकी जानकारी देगें। इसके साथ ही यह भी बताएगें कि सोने की कीमत किन बातों पर निर्भर करती है।
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ज्वेलरी दुकानदार अपने हिसाब से कीमतें तय करने के लिए स्वतंत्र
बता दें कोलकाता के ज्वैलर्स के मुताबिक, वेस्ट बंगाल बुलियन मर्चेंट्स एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (डब्लूबीबीएमजेए) की ओर से हर दिन गोल्ड की कीमत तय की जाती है। हालांकि, कोई भी ज्वैलरी दुकान भाव मानने के लिए बाध्य नहीं है। डब्लूबीबीएमजेए के असिस्टेंट सेक्रेटरी की मानें तो डब्लूबीबीएमजेए की तय की गई कीमतों को मानना अनिवार्य नहीं है। ऐसे में ज्वेलरी दुकानदार अपने हिसाब से कीमतें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सोने की कीमतों में पाया जाता काफी अंतर
वहीं देश के बाकी हिस्सों की तरह ही बंगाल में भी सोने की कीमतों को तय करने वाला कोई रेगुलेटर नहीं है। एक ही इलाके में अलग-अलग दुकानों पर सोने की कीमतों में अंतर मिल सकता है। कई आउटलेट्स एसोसिएशन द्वारा तय की गई कीमतों को मानते भी हैं। लेकिन, कई ज्वैलर्स अपने मन से सोने की कीमत तय करते हैं और यह कीमत अक्सर डब्लूबीबीएमजेए द्वारा तय की गई कीमत से ज्यादा होती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस पूरे कारोबार में कोई निश्चित नियम नहीं है। घरेलू बाजार में गोल्ड के रिटेल और होलसेल भाव तय करने के लिए कोई रेगुलेटरी अथॉरटी मौजूद नहीं है।
सोने की कीमत इन फैक्टर्स पर करती है डिपेंड
- सोने की कीमतें तय करने वाले फैक्टर्स की बात करें तो इनमें डिमांड और सप्लाई, रुपये और डॉलर का एक्सचेंज रेट और ग्लोबल मार्केट में गोल्ड की कीमत, महंगाई, इंपोर्ट ड्यूटी, जीएसटी वगैरह शामिल हैं।
- जीएसटी और दूसरे स्थानीय टैक्स राज्यों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं।
- वहीं कुछ कारोबारी संस्थान रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए भाव को भी मानते हैं। लोगों के बीच सोने की कीमतों को लेकर चर्चा हाल के समय में बढ़ी है। इस ओर ध्यान भले ही अब ज्यादा जा रहा है, लेकिन अलग-अलग आउटलेट्स पर गोल्ड की कीमतों में अंतर एक आम बात है।
हॉलमार्क ज्वेलरी लें, फायदे में रहेंगे
बता दें कि उपभोक्ताओं को नकली उत्पादों से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है। हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी यानी आपको सोने का वाजिब दाम मिलेगा। हॉलमार्किंग में उत्पाद कई चरणों में गुजरता है। ऐसे में गुणवत्ता में किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश कर रहती है। साथ बाजार में सोने की खरीद-बिक्री पर नजर रखने में मददगार होता है। जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियां कई संस्थानों के आंकड़ों का मिलान कर गड़बड़ी का पता लगा सकती हैं।
महंगी नहीं होती हॉलमार्क ज्वेलरी
हॉलमार्क की वजह से ज्यादा महंगा होने के नाम पर ज्वैलर आपको बगैर हॉलमार्क वाली सस्ती ज्वेलरी की पेशकश करता है तो सावधान हो जाइए। लेकिन विशेषज्ञों का का कहना है कि प्रति ज्वेलरी हॉलमार्क का खर्च महज 35 रुपये आता है। सोना खरीदते वक्त आप ऑथेंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें। सर्टिफिकेट में सोने की कैरेट गुणवत्ता भी जरूर चेक कर लें। इसके साथ ही सोने की ज्वेलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें।
क्या है हॉलमार्किंग
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। सोने के सिक्के या गहने कोई भी सोने का आभूषण जो बीआईएस द्वारा हॉलमार्क किया गया है, उस पर बीआईएस का लोगो लगाना जरूरी है। इससे पता चलता है कि बीआईएस की लाइसेंस प्राप्त प्रयोगशालाओं में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।
बढ़ने लगी सोने की मांग
देश में सोने की मांग फिर बढ़ने लगी है। इस साल मार्च में देश में 98.6 टन सोने का आयात हुआ, जो मार्च 2020 से 8 गुना है। मार्च 2020 में 13 टन सोने का आयात किया गया था। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार मई, 2019 के बाद सबसे ज्यादा आयात है। ब्लूमबर्ग के अनुसार मार्च तिमाही के दौरान देश में पिछले साल की तुलना में आयात दोगुना बढ़कर लगभग 190 टन रहा है। मार्च 2021 में जो 98.6 टन सोना आयात किया गया इसकी कीमत 63 हजार करोड़ रुपए है। इसके मुकाबले मार्च 2020 में 9 हजार करोड़ मूल्य का सोना आयात हुआ था। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का आयातक है।
इन कारणों से बढ़ा आयात
- अगस्त 2020 से अब तक सोने की कीमतों में 17% से ज्यादा गिरावट आई है।
- शादियों के सीजन के अलावा अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों में घटे दामों पर मांग बढ़ी।
- सरकार ने सोने पर आयात शुल्क 12.5% से घटाकर 7.5% कर दी है।
- इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर के कारण भी सोने की मांग बढ़ रही है।