Bank Joint Account खोलने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, फायदे में रहेंगे
ज्वाइंट एकाउंट एक ऐसा बैंक खाता है जो दो या उससे अधिक लोग मिलकर चलाते हैं। जॉइंट अकाउंट आमतौर पर बिजनेस पार्टनर, दोस्त, पति-पत्नी, परिवारों के सदस्य संयुक्त खाते खोलते हैं।
नई दिल्ली: ज्वाइंट एकाउंट एक ऐसा बैंक खाता है जो दो या उससे अधिक लोग मिलकर चलाते हैं। जॉइंट अकाउंट आमतौर पर बिजनेस पार्टनर, दोस्त, पति-पत्नी, परिवारों के सदस्य संयुक्त खाते खोलते हैं। खाताधारकों में से कोई भी ज्वाइंट खाते में जमा धन वापस ले सकता है। प्रत्येक खाताधारक के नाम वाले डेबिट कार्ड भी अलग से जारी किए जा सकते हैं। Bank अकाउंट खोलने से पहले इन बातों को जान लें, रहेंगे फायदे में ये भी पढ़ें
भारत में सेविंग अकाउंट की पेशकश करने वाले सभी बैंक संयुक्त खाते भी देते हैं। हालांकि कुछ बैंक ऐसे खातों के मामले में चार संयुक्त धारकों को अनुमति देते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जॉइंट अकाउंट सामान्य खातों की तरह ही होता है। यह स्थायी या अस्थायी हो सकता है। सबसे सामान्य प्रकार का जॉइंट अकाउंट किसी भी दो व्यक्तियों के बीच लागू होता है। यदि दो लोगों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो कोई भी खाता संचालित कर सकता है।
एक जॉइंट अकाउंट कैसे कार्य करता
संयुक्त खाते में बैंक जमा खाते, जैसे क्रेडिट कार्ड, चेकिंग और बचत खाते और अन्य वित्तीय उत्पाद, जैसे बंधक, कर्ज और क्रेडिट लाइन (एलओसी) शामिल हैं। यह सबसे सामान्य प्रकार का जॉइंट अकाउंट है और किसी भी दो व्यक्तियों के बीच लागू होता है। यदि दो लोगों का जॉइंट अकाउंट है और उनमें से एक की मृत्यु हो जाती है तो कोई भी खाता संचालित कर सकता है।
एनिवन या सर्वाइइव
- यह खाता तब मान्य होता है जब दो से अधिक व्यक्ति संयुक्त रूप से खाता शुरू करते हैं।
- कोई भी जमाकर्ता किसी भी समय खाते का संचालन कर सकता है।
- जमाकर्ताओं में से यदि किसी एक कि मृत्यु हो जाती है तो अन्य खाते के साथ जारी रख सकते हैं।
फॉर्मर या सर्वाइवर
- इसमें केवल पहला खाताधारक ही खाता संचालित कर सकता है।
- पहले खाताधारक के निधन पर दूसरे खातेदार को ही अधिकार मिलता है. इसके कुछ जरूरी शर्तों को पूरा करना होता है जैसे मृत्यु का प्रमाण प्रस्तुत करना आदि।
नाबालिग खाता
- एक अभिभावक के साथ संयुक्त रूप से एक नाबालिग के नाम से एक बचत बैंक खाता भी खोला जा सकता है। यहां अभिभावक को नाबालिग की ओर से खाते का संचालन करना चाहिए।
इन वजहों से भी खाता होता है फ्रीज
अगर आपके खाते में संदिग्ध तरह के ट्रांजेक्शन होने लगे- जैसे अचानक ऑनलाइन परचेज की संख्या बढ़ जाना या विदेश में डेबिट कार्ड से खरीदारी होने लगना, तो बैंक खुद अपनी तरफ से आपका अकाउंट फ्रीज कर देता है। बैंक समझता है कि संबंधित ग्राहक का अकाउंट या तो हैक कर लिया गया है या डेबिट कार्ड चोरी हो गया है। बता दें कि रिजर्व बैंक का प्रावधान है कि खाताधारक को तीन साल में एक बार, केवाईसी अपडेट करना होगा। अगर कोई ग्राहक ऐसा नहीं करता है तो उसका अकाउंट फ्रिज कर दिया जाता है। अगर आपके खाते में 6 महीने तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ तो आपका खाता फ्रीज हो सकता है। आयकर विभाग के निर्देश पर भी किसी व्यक्ति का खाता फ्रीज किया जाता है। इसी तरह से सेबी के आदेश का भी पालन होता है। वित्तीय धोखाधड़ी या कुछ अन्य किस्म के मामलों में अदालतें भी बैंक को आरोपी का बैंक अकाउंट फ्रिज करने का आदेश देती हैं। पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें