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इंश्‍योरेंस क्‍लेम : इन कारणों से नहीं म‍िलेगा मृत्यु पर पैसा

जीवन बीमा लेने के मामले में अक्सर लोग टर्म प्लान को अहम‍ियत देते हैं। इतना ही नहीं अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियां भी फायदे गिना कर ग्राहकों को इनसे जोड़ती है।

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नई द‍िल्‍ली: जीवन बीमा लेने के मामले में अक्सर लोग टर्म प्लान को अहम‍ियत देते हैं। इतना ही नहीं अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियां भी फायदे गिना कर ग्राहकों को इनसे जोड़ती है। लेकिन ये बात भी सच है कि इन टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान के साथ कई ऐसी शर्तें होती हैं जिन्हें हम अकसर अनदेखा कर देते हैं। या यूं कहें क‍ि कंपन‍ियां भी जिनके बारे में हमें नहीं बताती है। टर्म इंश्योरेंस में पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर पॉलिसी के तहत एश्योर्ड सम यानी एक तय रकम बेनि​फीशियरी को दी जाती है। ऐसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में मैच्योरिटी बेनिफिट नहीं होता। SBI अपने डेबिट कार्ड्स पर देता है Free बीमा, जान‍िए कितना ये भी पढ़ें

इंश्‍योरेंस क्‍लेम: इन कारणों से नहीं म‍िलेगा मृत्यु पर पैसा

टर्म लाइफ इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति का यह जान लेना बेहद जरूरी है कि इसमें हर तरह की मृत्यु कवर नहीं होती। क्लेम का पैसा तभी मिलता है, जब पॉलिसीधारक की मृत्यु टर्म प्लान के तहत कवर होने वाली वजहों के चलते हुई हो। अगर मौत ऐसे किसी कारण से हुई है, जो प्लान में कवर नहीं होता तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। कंपनियां पॉलिसीधारक को कब और किस शर्त पर उसका पैसा देगी यह पूर्व निर्धारित होता है।

 इन तरीकों से मौत होने पर नहीं मिलता बीमा का क्लेम

इन तरीकों से मौत होने पर नहीं मिलता बीमा का क्लेम

प्राकृति आपदा से मौत
अगर किसी पॉलिसीधारक की मौत प्राकृतिक आपदा जैसे कि भूकंप या फिर तूफान आदि से होती है तो नॉमिनी को इशोयरेंस क्लेम नहीं दिया जाता।

खतरों का हो खिलाड़ी
अगर किसी पॉलिसीधारक की एडवेंचर और खतरनाक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से मौत हो जाती है तो कंपनी इंश्योरेंस क्लेम से इनकार कर देती है। क्योंकि ये वे गतिविधियां हैं जिनमें पॉलिसीधारक अपनी जिंदगी को खतरे में डालते हैं।

 पुरानी बीमारी से मौत

पुरानी बीमारी से मौत

अगर पॉलिसीधारक को टर्म पॉलिसी लेने से पहले से कोई बीमारी है और उसने पॉलिसी लेते वक्त बीमा कंपनी को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं दी तो उक्त बीमारी से मौत होने पर बीमा कंपनी टर्म प्लान का क्लेम रिजेक्ट कर सकती है। टर्म प्लान के तहत एचआईवी/एड्स से हुई मृत्यु भी कवर नहीं होती है।

शराब की वजह से मौत
अगर किसी पॉलिसीधारक की मौत शराब की वजह से होती है तो उसे इंश्योरेंस क्लेम नहीं दिया जाता। जानकारी के मुताबिक कंपनी उन पॉलिसीधारक को इंश्योरेंस क्लेम नहीं देती जो भारी मात्रा में शराब पीते हैं और नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। अगर पॉलिसीधारक प्लान लेते वक्त इस बात का जिक्र नहीं करते कि वह भारी मात्रा में शराब पीते हैं तो कंपनियां पॉलिसीधारक की मौत होने पर इंश्योरेंस क्लेम नहीं देती।

पॉलिसीधारक का मर्डर

पॉलिसीधारक का मर्डर

अगर किसी पॉलिसी धारक का मर्डर हो जाता है और जांच में यह पता चलता है कि वह किसी क्राइम में भागीदार था तो कंपनी उसे पैसा नहीं देगी। वहीं दूसरी ओर पॉलिसीधारक की मौत आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से होती है तो तब भी उसे इंश्योरेंस क्लेम नहीं दिया जाएगा।

पॉलिसीधारक की हत्या
अगर पॉलिसीधारक की हत्या हो जाए और उसमें नॉमिनी का हाथ होने की भूमिका सामने आए या उस पर हत्या का आरोप हो, तो टर्म लाइफ इंश्योरेंस के क्लेम को बीमा कंपनी देने से मना कर सकती है। ऐसी स्थिति में क्लेम रिक्वेस्ट तब तक होल्ड पर रहेगी, जब तक नॉमिनी को क्लीन चिट नहीं मिल जाती यानी वह निर्दोष साबित नहीं हो जाता। पॉलिसीधारक के किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त रहने पर उसकी हत्या होने पर भी बीमा की रकम नहीं मिलेगी। इसके साथ ही अगर पॉलिसीधारक टर्म प्लान लेने के एक साल के अंदर आत्महत्या कर लेता है तो नॉमिनी को इंश्योरेंस क्लेम की अनुमति नहीं मिलेगी।

English summary

Insurance Claims Are Not Given On Death Through These Methods

If you die due to these reasons, you will not get insurance money.
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