EPF : आपके पैसे पर कब लगेगा Tax, जानिए पूरा गणित
नई दिल्ली, मई 29। एफडी और पीपीएफ जैसे निवेश विकल्पों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न और सुरक्षा के अलावा ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) में जो सबसे बड़ा फायदा मिलता है वो है छूट-छूट-छूट टैक्स स्टेटस। यानी आपकी जमा राशि, मिलने वाले ब्याज और मैच्योरिटी पर हाथ में आने वाले पैसे सब पर टैक्स से छूट मिलती है। हालाँकि क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी कंडीशन होती हैं जब ईपीएफ पर टैक्स लगता है। उदाहरण के लिए किसी वित्त वर्ष में एम्प्लोयर की तरफ से किया गया ईपीएफ खाते में योगदान अगर एक निश्चित सीमा से ज्यादा हो तो उस पर टैक्स लगेगा। ऐसे कुछ और भी मामले हैं जब आपको ईपीएफ पर टैक्स देना होगा। आइए जानते हैं ऐसे कुछ और मामलों में के बारे में।
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क्या है नियम
मौजूदा कानून के मुताबिक, ईपीएफ खाते में कर्मचारी के खुद के योगदान पर टैक्स नहीं लगता। हालांकि 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी नियम के अनुसार ईपीएफ खाते में एम्प्लोयर का योगदान यदि किसी वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक हो उस पर टैक्स लगेगा। जानकार बताते हैं कि ईपीएफ, एनपीएस और/या रिटायरमेंट फंड (सुपरएनुएशन) में एम्प्लोयर के एक्स्ट्रा योगदान पर कर्मचारी के लिए अनुलाभ के रूप में टैक्स लगाया जाएगा। एम्प्लोयर को उस राशि की गणना करने की आवश्यकता है जिस पर अनुलाभ के रूप में टैक्स लगाया जाएगा और यह आपके फॉर्म 16 में दिखाई देगा। मान लीजिए कि एक एम्प्लोयर किसी वित्तीय वर्ष में रिटायरमेंट फंड में 1 लाख रुपये, एनपीएस में 5 लाख रुपये और ईपीएफ खाते में 2 लाख रुपये का योगदान देता है। यह कुल 8 लाख रुपये का योगदान है, यानी यह 7.5 लाख रुपये की टैक्स फ्री सीमा से 50,000 रुपये अधिक है। इस तरह कर्मचारी को अतिरिक्त योगदान पर टैक्स का भुगतान करना होगा।
अगर एनपीएस और रिटायरमेंट फंड में कोई योगदान न किया जाए
मान लीजिए कि किसी कर्मचारी के पास एनपीएस खाता और रिटायरमेंट फंड नहीं है। हालांकि किसी वित्तीय वर्ष में ईपीएफ खाते में एम्प्लोयर का योगदान 8.5 लाख रुपये है। इस मामले में भी 7.5 लाख रु से अधिक पैसे पर कर्मचारी को टैक्स देना होगा।
ईपीएफ अकाउंट के ब्याज पर टैक्स
वैसे तो ईपीएफ खाते पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री है। मगर ऐसी दो स्थितियां हैं जहां मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है। 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी यदि किसी कर्मचारी का खुद का योगदान ईपीएफ खाते में स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) के माध्यम से अतिरिक्त योगदान के साथ किसी वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा। दूसरा जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, यदि ईपीएफ, रिटायरमेंट फंड और एनपीएस में एम्प्लोयर का योगदान किसी वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त योगदान पर मिलने वाले ब्याज भी टैक्स लगेगा।
ईपीएफ से निकाले गये पैसे पर टैक्स
यदि मैच्योरिटी के समय ईपीएफ खाते से पैसा निकाला जाता है या ईपीएफ योजना के तहत मिलने वाली अनुमति के अनुसार आंशिक निकासी की जाती है (जैसे कि शादी के उद्देश्य से, घर बनाने आदि के लिए), तो निकाले गये पैसे पर टैक्स से छूट मिलती है। ईपीएफ खाते से पूरा पैसा निकालने की भी अनुमति मिलती है। यह तब किया जा सकता है जब किसी कर्मचारी ने अपनी नौकरी छोड़ दी है और दो महीने के बाद तक कोई नई नौकरी हासिल नहीं की है। ऐसे में ईपीएफ खाते से निकासी पर टैक्स लगेगा, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि ईपीएफ खाता कितने समय से सक्रिय है।
जानिए पूरा नियम
अगर ईपीएफ खाते से लगातार 5 साल काम करने के बाद निकासी की जाती है, तो ऐसी निकासी पर टैक्स से छूट मिलती है। दूसरी ओर, यदि लगातार सर्विस पांच वर्ष से कम है, तो निकाली गई राशि पर टैक्स लगेगा। इसके अलावा अगर निकासी राशि 50,000 रुपये से अधिक है, तो टीडीएस 10% की दर से लागू होगा। ध्यान रखें कि ईपीएफ निकासी पर टीडीएस 5 साल की सेवा पूरी होने से पहले और 50,000 रुपये से अधिक की निकासी राशि पर लागू होता है।