For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

EPF : बदल गए टैक्स से जुड़े कई नियम, समझिए सभी बारीकियां

|

नई दिल्ली, सितंबर 29। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) आपको रिटायरमेंट के लिए बचत करने में मदद करता है। मगर ईपीएफ में किए जाने वाले योगदान के टैक्स नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। पहले ईपीएफ में योगदान और इससे होने वाली इनकम ईईई (छूट-छूट-छूट) कैटेगरी में आती थी। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें थीं। मगर वित्त अधिनियम, 2020 और वित्त अधिनियम 2021 में हुए संशोधनों ने योगदान और उस पर होने वाली इनकम को टैक्स के दायरे में ला दिया है। आगे जानिए इन टैक्स नियमों को लेकर हुए बदलावों की पूरी डिटेल।

EPF : आपके पैसे पर कब लगेगा Tax, जानिए पूरा गणितEPF : आपके पैसे पर कब लगेगा Tax, जानिए पूरा गणित

क्या हुए हैं बदलाव

क्या हुए हैं बदलाव

वित्त अधिनियम, 2020 में एम्प्लोयर द्वारा कर्मचारी के ईपीएफ, सेवानिवृत्ति कोष (एसएएफ) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में किए जाने वाले 7.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर टैक्स लगता है। इसके अलावा एम्प्लोयर द्वारा के कर्मचारी खाते में अतिरिक्त ब्याज, डिविडेंड या ऐसा ही कोई अतिरिक्त योगदान भी टैक्सेबल कर दिया गया। इसी तरह, वित्त अधिनियम, 2021 ने ईपीएफ में कर्मचारी के ईपीएफ में 2.5 लाख रुपये से अधिक योगदान पर अर्जित ब्याज पर टैक्स छूट को खत्म कर दिया। अगर एम्प्लोयर का कोई योगदान न हो तो इस स्थिति में यह लिमिट 5 लाख रुपये है।

माना जाएगा इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज
 

माना जाएगा इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज

अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) से जुड़े सीनियर टैक्स प्रोफेश्नल अंकुर अग्रवाल और ईवाई की रमा कर्माकर द्वारा लिखे गए एक लेख में बताया गया है कि यह पैसा इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज के रूप में काउंट किया जाएगा।

क्या है मकसद

क्या है मकसद

इन संशोधनों का मकसद उच्च वेतन वाले और कम वेतन वाले लोगों के बीच असमानता को कम करना है। बजट 2021 के मेमोरेंडम में कहा गया था कि ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां कुछ कर्मचारी इन फंड्स में भारी मात्रा में योगदान कर रहे हैं और इस तरह के योगदान पर अर्जित / प्राप्त पूरा ब्याज टैक्स फ्री है। बिना किसी लिमिट के चलते यह छूट केवल उन लोगों को लाभ देती है जो ज्यादा योगदान कर सकते हैं। अतिरिक्त योगदान पर टैक्सेबल ब्याज की गणना में मदद करने के लिए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 31 अगस्त, 2021 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें आयकर नियम, 1962 में एक नया नियम 9डी शामिल किया गया है।

क्या कहता है नियम

क्या कहता है नियम

नये नियम 9डी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 से पीएफ खातों में टैक्सेबल योगदान और नॉन टैक्सेबस योगदान के लिए अलग खातों का मैंटेनेंस का निर्देश है। साथ ही ये नियम बताता है कि टैक्सेबल योगदान पर अर्जित ब्याज पर छूट नहीं मिलेगी। 31 मार्च, 2021 तक खाते में बैलेंस, वित्तीय वर्ष 2021-22 और उसके बाद के वर्षों के दौरान खाते में किया गया कोई योगदान, जो टैक्सेबस योगदान में शामिल नहीं है और इन राशियों पर मिले ब्याज या विदड्रॉल पर टैक्स नहीं लगेगा।

कौन सी राशि आएगी टैक्स के दायरे में

कौन सी राशि आएगी टैक्स के दायरे में

वित्तीय वर्ष 2021-22 और उसके बाद के वर्षों के दौरान किया गया वो योगदान, जो 2.5 लाख रुपये से (एक मामले में 5 लाख रु से अधिक, जैसा कि ऊपर बताया गया है) अधिक है। इस राशि पर अर्जित ब्याज और निकाले गये पैसे पर टैक्स लगेगा। नया नियम 9डी यह स्पष्ट करता है कि 1 अप्रैल, 2021 से विदड्रॉल पर छूट संभावित है। यह नियम 31 मार्च 2021 को पीएफ खाते में बैलेंस को भी नॉन टैक्सेबेल योगदान का हिस्सा बनाता है। इसलिए अप्रैल 2021 से केवल लिमिट से अधिक योगदान ही टैक्सेबल होगा। सभी करदाताओं को ईपीएफ योगदान की टैक्सेबिलिटी में हुए इन बदलावों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अब उन्हें अपने टैक्सेबल योगदान और अर्जित ब्याज का हिसाब रखना होगा और उसी हिसाब से टैक्स के लिए ब्याज की जानकारी देनी होगी।

English summary

EPF Many rules related to tax changed understand all the nuances

Under the Finance Act, 2020, the contribution made by the employer to the EPF, Retirement Fund (SAF) and National Pension Scheme (NPS) of the employee exceeds Rs 7.5 lakh is taxable.
Story first published: Wednesday, September 29, 2021, 14:03 [IST]
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X