बैंक ग्राहकों के हैं ये खास अधिकार, जानें और उठाएं फायदा
नई दिल्ली। अब देश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसका बैंक अकाउंट न हो। ऐसे में रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आम लोगों को कई सारे अधिकार दिए हैं। यह अधिकार जहां आप को सक्षम बनाते हैं, वहीं बैंकों को अच्छी सेवाएं देने के लिए भी कहते हैं। इसके बाद भी अगर बैंक आपके काम न करे, या कोई बैंककर्मी आपसे खराब व्यवहार करे तो आप अपने 5 अधिकारों के तहत बैंक या बैंककर्मी के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
जानें बैंक के ग्राहक अपने अधिकार
आरबीआई ने बैंक खाताधारकों को कई अधिकार दिये हुए हैं, लेकिन उनको इसकी जानकारी नहीं है। यही कारण है कि वह अपने इन अधिकारों को जानते नहीं हैं, और अक्सर बैंक से प्रताड़ित होने के बाद भी शिकायत नहीं कर पाते हैं।
बैंककर्मियों को करना होगा अच्छा व्यवहार
आरबीआई ने अपने निर्देश में साफ साफ कहा है कि बैंक या वित्तीय सेवा देने वाले कर्मी ग्राहकों से अच्छा व्यवहार करेंगे। बैंककर्मी ग्राहकों से सभ्य व शिष्टाचार के साथ व्यवहार करेंगे। बैंककर्मी इसके अलावा लिंग, उम्र, जाति और शारीरिक क्षमता के आधार पर ग्राहकों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते हैं।
समझ में आने लायक हों एग्रीमेंट
आरबीआई ने साफ साफ कहा है कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने ग्राहक के साथ बैंकिंग सेवाओं से जुड़े सभी कांट्रेक्ट या एग्रीमेंट ट्रांसपेरेंट बनाएं। यह ऐसे होने चाहिए कि ग्राहक उसे आसानी से समझ सके। आरबीआई के नियम के अनुसार ग्राहक की बगैर सहमति के बनाया गया एग्रीमेंट अवैध होगा।
ग्राहक को निजता का अधिकार
आरबीआई ने ग्राहक को यह अधिकार दिया गया है कि उनकी निजी जानकारी को तब तक सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसने सहमति न मिल गई हो। इसके अलावा सिर्फ कानूनी रूप से जरूरी होने पर ही ऐसा किया जा सकता है। इसके अलावा बैंक ग्राहक की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं।
तुरंत शिकायत को समाधान
आरबीआई ने ग्राहक को अधिकार दिया गया है कि वह उसे बेचे गए किसी भी उत्पाद या सेवाओं के लिए उसे जारी करने वाले को जिम्मेदार ठहरा सकता है। ऐसे में ग्राहक की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। यही नहीं उसका समय पर निस्तारण भी किया जाना चाहिए।
ग्राहक को अनावश्यक उत्पाद नहीं बेचने चाहिए
आरबीआई के नियम के अनुसार बैंक ग्राहक की आर्थिक स्थिति और अन्य जानकारी को ध्यान में रख कर ही उसे प्रोडक्ट ऑफर कर सकते हैं। बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहक को दिया गया प्रोडक्ट उसकी जरूरतों के हिसाब से फिट हो। बैंक अगर ऐसा नहीं करते हैं, ताे उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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