होम लोन लेने वाले याद रखें बैंक किसी का सगा नहीं
जब आप होम लोन यानी गृह ऋण लेने जाते हैं, तो बैंक तमाम चीजें आपसे मांगता है- तीन साल का आईटी रिटर्न, 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट, सैलरी स्लिप, आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, आदि। उस वक्त आप जमकर भागदौड़ करते हैं और अंतत: लोन मिलने के बाद आप खुश होकर आराम से बैठ जाते हैं और ईएमआई देने लगते हैं। लेकिन सावधान! अगर आप वाकई में होम लोन को लेकर आराम से बैठ गये हैं, तो अभी सचेत जाइये नहीं तो लाखों रुपए आपकी जेब से कट सकते हैं।
अगर आप वाकई में चेत गये हैं, तो इन छह बातों को आज से ही गांठ बांध लीजिये।
1. चाहे सरकारी बैंक हो या प्राइवेट। बैंक पर भरोसा करके कभी चैन की जिंगदी मत जीयें। हर तीन महीने पर बैंक जायें और अपने लोन का स्टेटस पूछें। नहीं तो नेट बैंकिंग के माध्यम से चेक करते रहें।
2. अगर फ्लोटिंग इंटरेस्ट पर लोन लिया है तो जब-जब आरबीआई दरें घटाये या बढ़ाये, तब-तब चेक कीजिये कि वह दरें आपके अकाउंट पर रिफलेक्ट हुईं या नहीं। क्योंकि ब्याज दर बढ़ने पर बैंक प्रत्येक होम लोन अकाउंट में ब्याज की दर बदलते हैं, लेकिन ब्याज दर घटने पर बैंक खुद से सिस्टम में जाकर ब्याज दर बदलते नहीं। अगर ग्राहक सो गया तो बैंक उसी बढ़ी हुई दर पर ब्याज काटते रहते हैं।
3. हर साल अप्रैल महीने में बैंक जाकर अपना अकाउंट स्टेटमेंट जरूर लें। इससे आपको पता चलता रहेगा कि सालाना आपने कितना लोन पाटा।
4. यह मत सोचें कि जब 50 हजार या 1 लाख रुपए होगा, तब प्री-पेमेंट करेंगे। अगर आपके पास 5 हजार या 10 हजार भी आता है, तो लोन अकाउंट में जका करें।
5. कई बार बैंक आप पर तमाम तरह की हिडेन कॉस्ट अचानक डाल देता है। कई बार ऐसा होता है कि समय से ईएमआई देने के बाद भी बैंक लेट फीस काट लेता है, अगर ऐसा है, तो आप तुरंत बैंक से संपर्क करें।
6. अगर आज आपको पता चलता है कि बैंक आपसे ज्यादा ब्याज ले रहा है, तो तुरंत कम्प्लेन करें और ब्याज दर कम करवायें। उसके बाद देखें कि कब से बैंक ने ज्यादा ब्याज काटा है। उस स्थिति में बैंक से कहें कि वो पैसा रिवर्स कर आपके लेजर बैलेंस से घटाये या फिर ब्याज की समय अवधि कम करे। यदि बैंक मना कर दे, तो आर आरबीआई में इसकी शिकायत कर सकते हैं।